बंगाल में अब TMC नेता की हत्या, चुनावी हिंसा में अब तक 6 लोगों का क़त्ल, इसके बावजूद ममता सरकार...
बंगाल में अब TMC नेता की हत्या, चुनावी हिंसा में अब तक 6 लोगों का क़त्ल, इसके बावजूद ममता सरकार...
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कोलकाता: पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव का ऐलान होने के बाद से ही हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है, लेकिन इसके बावजूद राज्य की ममता सरकार केंद्रीय सुरक्षाबलों की तैनाती को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुँच चुकी है। दरअसल, कोलकाता हाई कोर्ट ने हिंसा को देखते हुए केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया था, जिसे बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी है। इसी बीच मालदा के कलियाचक में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (TMC) के कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई है। 

रिपोर्ट के अनुसार, आरोप है कि, पीट-पीट कर TMC कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई है। इस घटना में दोष कांग्रेस पर लगा है। पिछले एक सप्ताह में प्रदेश में 6 लोगों की जान चुनावी हिंसा में गई है, जिसमे कांग्रेस, CPIM और भाजपा के कार्यकर्ता भी शामिल हैं। मालदा में तृणमूल कांग्रेस की हत्या के लिए कांग्रेस पर इल्जाम लगाए जा रहे हैं। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, TMC ने उस कार्यकर्ता को मालदा के सुजापुर ग्राम पंचायत में नामजद किया था। मुस्तफा नामक व्यक्ति शनिवार दोपहर लगभग डेढ़ बजे साइकिल से घर आ रहा था। 

सूत्रों के अनुसार, उस वक़्त बांस, डंडों, लोहे की छड़ों से उस पर हमला कर दिया गया। मुस्तफा सुजापुर के पूर्व ग्राम प्रधान भी था। इस घटना की राज्य मंत्री सबीना यास्मीन ने सीधे तौर पर कांग्रेस से शिकायत की है। सबीना ने दावा किया कि पंचायत चुनाव में टिकट सिलेक्टिव तरीके से दिए गए। कई उपद्रवियों को टिकट नहीं दिया गया। वे TMC छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। उसने शनिवार को मुस्तफा का क़त्ल कर दिया। हालांकि कांग्रेस का दावा है कि इस क़त्ल में उनकी पार्टी से कोई भी सदस्य शामिल नहीं है। हालाँकि, हत्या को लेकर एक बार फिर राज्य की राजनीति गरमा गई है। हिंसा को लेकर गवर्नर आज कैनिंग का दौरा करेंगे।


हर चुनाव के दौरान बंगाल में होती है हिंसा:- 

बता दें कि, चाहे विधानसभा के चुनाव हों या लोकसभा के, या फिर पंचायत या स्थानीय लोकल चुनाव। हर बार बंगाल में हिंसा का नंगा नांच देखने को मिलता रहा है। आरोप लगते हैं कि, सत्ताधारी पार्टी, विरोधी दलों के नेताओं को चुनाव में नामांकन करने से रोकती है, विपक्षी दलों के वोटर्स को डरा-धमकाकर मतदान करने से रोका जाता है। 2021 के बंगाल विधानसभा चुनाव में भी जमकर हिंसा भड़की थी, जिसमे भाजपा समर्थक लोगों का बड़ी तादाद में पलायन हुआ था। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दाखिल हुई थी, जिसमे दावा किया गया था कि, हिंसा के चलते 1 लाख लोगों को पलायन करना पड़ा है। इन लोगों ने असम-त्रिपुरा जैसे पड़ोसी राज्यों में शरण ली थी। याचिका में यह भी कहा गया कि पुलिस और 'राज्य प्रायोजित गुंडे' (सत्ताधारी TMC) आपस में मिले हुए हैं। यहीं कारण है कि पुलिस मामलों की जांच ही नहीं कर रही और उन लोगों को सुरक्षा देने में नाकाम रही, जो जान का खतरा महसूस कर रहे हैं। मौजूदा पंचायत चुनावों में भी अब तक बंगाल में एक कांग्रेस कार्यकर्ता और एक CPIM कार्यकर्ता कि हत्या हो चुकी है, साथ ही भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या की ख़बरें भी बंगाल से अक्सर सामने आती रहती है, तो वहीं TMC कार्यकर्ताओं का भी क़त्ल होता है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि, आखिर इतनी हिंसा के बावजूद राज्य की ममता सरकार केंद्रीय बलों की तैनाती का विरोध क्यों कर रहीं है ? और अगर बंगाल पुलिस सुरक्षा के लिए पर्याप्त है, तो फिर हर चुनाव में हिंसा क्यों होती है ? क्योंकि, अन्य राज्यों में भी चुनाव होते हैं, लेकिन इस तरह की हिंसा देखने को नहीं मिलती, जैसे बंगाल में होती है।

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