भारतीय प्रशासनिक अधिकारियो के निलंबन के लिए बना नया नियम
भारतीय प्रशासनिक अधिकारियो  के निलंबन के लिए बना नया नियम
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नई दिल्ली: केंद्र के तहत काम करने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के लिए अच्छी खबर है। अब उनको तभी निलंबित किया जा सकेगा जब कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के मंत्री इसकी मंजूरी देंगे। कहा जा रहा है कि इस नए नियम का मकसद सरकारी कर्मियों की रक्षा करना है। इससे पहले केंद्र सरकार के पास ये अधिकार थे कि वो किसी भी आईएएस अफसर को निलंबित कर सकती थी।

इस मामले में नौकरशाहों की सेंट्रल रिव्यू कमेटी तभी हस्तक्षेप कर सकती थी, जब निलंबन 1 साल से ज्यादा हो। डीओपीटी ने इस नए नियम की जानकारी 21 दिसंबर को दी है। इसमें कहा गया है कि केंद्र में काम करने वाले नौकरशाहों को अब सिर्फ सेंट्रल रिव्यू कमेटी के आदेश पर ही निकाला जा सकेगा। फिलहाल डीओपीटी का प्रभार राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह संभाल रहे है।

फिलहाल डीओपीटी के प्रशासनिक प्रमुख पीएम मोदी है। उन्होने पहले भी अफसरों की रक्षा की बात कही थी। दरअसल इस विषय पर चर्चा तब शुरु हुई जब अशोक खेमका और दुर्गाशक्ति नागपाल को निलंबित किया गया। इसके बाद ही करीब एक साल तक राज्यों के साथ बातचीत चली, जिसके बाद ये नियम बनाया गया। अगर राज्य अपने किसी आईएएस, आईपीएस या आईएफएस अफसर को निलंबित करती है तो उसे 48 घंटों के अंदर इसकी जानकारी केंद्र सरकार को देनी होगी।

नए नियम के तहत निलंबन के आदेश की कॉपी को भी भेजना होगा और साथ ही निलंबन का कारण भी बताना होगा। इसके बाद भी यदि केंद्र सरकार की ओर से निलंबन को प्रमाणित नही किया गया या अनुशासनिक कार्यवाही नही की गई तो राज्य किसी भी अधिकारी को 30 दिन से ज्यादा दिनों तक निलंबित नही रख सकती। इससे पहले ये अवधि 45 दिन की थी।

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