नईदिल्ली। नोटबंदी में काफी चूक हुईं, हालांकि यह बेहतर थी। मगर 2 हजार रूपए की मुद्रा को चलन में लाए जाने की बात समझ नहीं आई है। यह बात कही है अमेरिकी अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता रिचर्ड थेलर ने। उन्होंने कहा कि सरकार कालेधन को समाप्त करना चाहती थी और अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाना चाहती थी लेकिन ये उद्देश्य कुछ पेचिदा प्रणाली के कारण मुश्किल में अटक गए। शिकागो विश्वविद्यालय के छात्र स्वराज कुमार ने रिचर्ड से सवाल किया था जिसके जवाब में उन्होंने ट्विट किया।
थेलर ने कहा कि भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए नोटबंदी को अपनाया गया लेकिन इसमें तकनीकी कमियां थीं। वे नोटबंदी के पक्ष में थे लेकिन जिस तरह से 2 हजार रूपए के बड़े नोट को जारी किया वह एक बड़ी परेशानी थी। उन्होंने कहा कि इससे बाजार में काफी परेशानी आ ग ई। कई लोगों को मुश्किल हुई हालांकि नोटबंदी का कदम अच्छा था।
गौरतलब है कि मनोवैज्ञानिक अर्थशास्त्र के क्षेत्र में थेलर ने सराहनीय कार्य किया है। ऐसे में उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। थेलर द्वारा दिया गया मत भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत अहम है, भारत में अभी भी सत्तापक्ष जहां नोटबंदी को अपनी उपलब्धि बताता है तो विपक्ष इसे एक असफल प्रयोग बताता है।
विपक्ष का कहना रहता है कि सरकार जिस कालेधन की बात कर रही थी वह तो समाप्त हुआ ही नहीं, दूसरी ओर सरकार ने दावा किया था कि आम आदमी के खाते में प्रत्येक के खाते में 15 लाख रूपए जमा हो जाऐंगे मगर नोटबंदी के बाद भी ऐसा होता नज़र नहीं आ रहा है। कांग्रेस ने इसे सरकार का एक विफल प्रयोग कहा है। कथित तौर पर कांग्रेस का कहना था कि इससे तो गरीब ही परेशान हुआ जबकि अमीर अपना कालाधन बचाने में सफल रहा।
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