30 रुपये में सुरक्षित होगी भारत की बेटी!
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नई दिल्ली: निर्भया दुष्कर्म मामले को नौ वर्ष पूरे हो गए हैं। वर्ष 2012 के 16 दिसंबर की रात को निर्भया के साथ राजधानी दिल्ली में चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। इस मामले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। दोबारा देश की किसी बेटी के साथ ऐसी दरिंदगी ना हो, इसके लिए निर्भया फंड बनाया गया। इस फंड का उद्देश्य महिला सुरक्षा से संबंधित योजनाएं आरम्भ करना तथा दुष्कर्म पीड़िताओं को आर्थिक सहायता देना था। फंड से पिछले 8 वर्षों में 9764।30 करोड़ रुपये की योजनाएं आरम्भ की गई हैं। जिसमें सेफ सिटी प्रोजेक्ट भी सम्मिलित है।

वही इस राशि में से पीड़ितों को आर्थिक सहायता के रूप में सिर्फ 200 करोड़ रुपये ही दिए गए। आज इस फंड से संबंधित कुछ प्रश्नों का उत्तर तलाशते हैं, जैसे- फंड कहां खर्च हुआ? सरकार की सेफ सिटी में औरतें अब कितनी सुरक्षित हैं? क्या उनके लिए खर्च की जा रही रकम पर्याप्त है? केंद्र सरकार ने वर्ष 2013 में निर्भया फंड का ऐलान किया था। आरम्भ में 1000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए। फिर वर्ष 2014-15 तथा 2016-17 में 1000-1000 करोड़ रुपये और आवंटित हुए।

6 वर्ष में 20 फीसदी से कम खर्च:-
2015 में एक परिवर्तन करते हुए सरकार ने निर्भया फंड के लिए गृह मंत्रालय की बजाय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (डब्ल्यूसीडी) को नोडल एजेंसी बना दिया। मंत्रालय के 2019 की संख्या बताती हैं कि निर्भया फंड के तहत देश के सभी प्रदेशों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को जितना पैसा आवंटित कराया गया है, उसमें से उन्होंने 20 फीसदी से भी कम भाग का ही उपयोग किया। चौंकाने वाली बात ये है कि 2015 तक सिर्फ 1 फीसदी रूपये खर्च हुआ है। ज्यादातर प्रदेशों ने अपने फंड का उपयोग ही नहीं किया। सिर्फ 5 प्रदेशों- दिल्ली, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र तथा यूपी ने कुल आवंटन का 57 प्रतिशत उपयोग किया है।

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