हरियाणा के किसान ने माँगा सरकार से 15000 करोड़ का मुआवजा
हरियाणा के किसान ने माँगा सरकार से 15000 करोड़ का मुआवजा
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नई दिल्ली : अपनी ज़मीन पर क़ब्ज़े को लेकर हरियाणा में सोनीपत के किसान सज्जन सिंह ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। अभी वे हाल फ़िलहाल दो बीघा जमीन के मालिक है. लेकिन डेढ़ महीने पहले उन्होंने एक और ज़मीन पर क़ब्ज़े के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। मालचा गाँव की इस 155 बीघा ज़मीन पर भव्य सरकारी इमारतें बनी हैं। राष्ट्रपति भवन और संसद के अलावा उत्तर प्रदेश भवन, कर्नाटक भवन, छत्तीसगढ़ भवन है। मौर्या शेरेटन और ताज महल जैसे पांच सितारा होटल भी इसी जमीन पर हैं। सज्जन ने कहा की मुझे भरोसा है की एक लाख रुपए वर्ग गज के भाव वाली इस ज़मीन का या तो मालिकाना हक़ उन्हें मिलेगा वरना सरकार इसका मुआवज़ा देगी।

क्योंकि संसद में लंबित लैंड बिल अगर पास हो भी जाए तो भी रेट्रोस्पेक्टिव तरीके से लागू नहीं हो सकता। मौजूदा बाज़ार भाव पर इस ज़मीन की क़ीमत पंद्रह हज़ार करोड़ रुपए है। सज्जन सिंह के भरोसे की वजह है भूमि अधिग्रहण क़ानून 2013 की धारा 24(2) जिसके अनुसार किसान की ज़मीन का अधिग्रहण होने के पांच साल के अंदर ही उसे उसका मुआवज़ा मिल जाना चाहिए। नहीं तो अधिग्रहण ख़ारिज कर ज़मीन उसके मालिक को वापस कर दी जाएगी। खबर के अनुसार डॉ सूरत सिंह जो की किसान सज्जन सिंह का केस लड़ रहे है उन्होंने बताया की सज्जन के परदादा शादीराम की 155 बीघा ज़मीन केंद्र सरकार ने राजधानी बनाने के लिए ली थी। उसका मुआवज़ा 2217 रुपए 10 आने और 11 पैसे तय किया था। लेकिन शादीराम ने मुआवज़ा कम बताते हुए उसे स्वीकार करने से इंकार कर दिया था। 

पिछले साल नया क़ानून बनने के बाद सज्जन ने नए सिरे से कोशिशें शुरू कीं। हाईकोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय और दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग को जवाब दाख़िल करने के निर्देश दिए हैं। 30 जुलाई को कोर्ट को सौंपे अपने हलफ़नामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि संबंधित दस्तावेज़ उसके पास न होने से उसे मामले की जानकारी नहीं है। दस्तावेज़ दिल्ली सरकार के पास हैं। दिल्ली सरकार की ओर से जवाब देने के लिए उपराज्यपाल ने चार हफ्ते की मोहलत मांगी है।

भूमि अधिग्रहण क़ानून 2013 की धारा 24(2) जिसके अनुसार किसान की ज़मीन का अधिग्रहण होने के पांच साल के अंदर ही उसे उसका मुआवज़ा मिल जाना चाहिए। नहीं तो अधिग्रहण ख़ारिज कर ज़मीन उसके मालिक को वापस कर दी जाएगी। यह बिल यूपीए सरकार ने बनाया था. उस वक्त राहुल गांधी भट्टा परसौल और नंदीग्राम जैसी घटनाओं से चिंतित थे. उन्होंने जयराम रमेश से ऐसा कानून बनाने के लिए कहा जिसमे किसानो के हितो की रक्षा हो सके. तभी यह बिल पारित किया गया। 

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