जवाहर लाल नेहरू नहीं, बल्कि 'नेताजी' थे भारत की आज़ाद सरकार के पहले प्रधानमंत्री
जवाहर लाल नेहरू नहीं, बल्कि 'नेताजी' थे भारत की आज़ाद सरकार के पहले प्रधानमंत्री
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नई दिल्ली: आज स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस उर्फ नेताजी की जयंती है. यदि आपसे कोई पूछे कि देश के पहले पीएम का नाम क्या था? तो आप यही कहेंगे कि देश के पहले पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू थे. भारत के छोटे से छोटे स्कूल और बड़े से बड़े विश्विद्यालय के छात्र यही जवाब देंगे क्योंकि बचपन से ही भारत में स्कूल की पुस्तकों में यही इतिहास पढ़ाया गया है. किन्तु ये बात पूरी तरह सच नहीं है. 

हकीकत ये है कि पंडित जवाहर लाल नेहरू से भी पहले, देश की पहली आजाद सरकार के, पहले पीएम, नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे. शायद आपको इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा होगा. लेकिन इसमें आपकी कोई गलती नहीं है. आजाद भारत में सरकारों ने कुछ विशेष किस्म के इतिहासकारों को ही मान्यता दी. इन इतिहासकारों ने देश के इतिहास से सम्बंधित काफी सारी महत्वपूर्ण घटनाओं को आपसे छुपा लिया. सुभाष चंद्र बोस देश की पहली आजाद सरकार के पीएम, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री थे. मगर ये बात कभी आपको बताई ही नहीं गई.

मोदी सरकार ने वर्ष 2017 में 21 अक्टूबर को देश की पहली आजाद सरकार की 75वीं वर्षगांठ मनाई थी. इस सरकार को 'आजाद हिंद सरकार' के नाम से जाना जाता है. ये सरकार 21 अक्टूबर 1943 को बनी थी. भारत की पहली आजाद सरकार की स्थापना और उसका ऐलान सुभाष चंद्र बोस ने 21 अक्टूबर 1943 को किया थी. इस ऐलान के फ़ौरन बाद ही 23 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद सरकार द्वितीय विश्व युद्ध के मैदान में उतर गई थी. आजाद हिंद सरकार के पीएम सुभाष चंद्र बोस ने ब्रिटेन और अमेरिका के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी थी.

उस समय 9 देशों की सरकारों ने सुभाष चंद्र बोस की सरकार को मान्यता दी थी. जापान ने 23 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद सरकार को मान्यता प्रदान की. उसके बाद जर्मनी, फिलीपींस, थाईलैंड, मंचूरिया, और क्रोएशिया ने भी आजाद हिंद सरकार को मान्यता देते हुए स्वीकार किया. आजाद हिंद सरकार ने जापान सरकार के साथ मिलकर म्यांमार के रास्ते पूर्वोत्तर भारत में प्रवेश करने का प्लान बनाया था. सुभाष चंद्र बोस ने बर्मा की राजधानी रंगून को अपना मुख्यालय बनाया, उस समय वहां जापान का कब्ज़ा था. 18 मार्च 1944 को सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज ने भारत की भूमि पर कदम रखा था. और उस जगह को अब नागालैंड की राजधानी कोहिमा के नाम से जाना जाता है. 

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