नवरात्र: नवमी के दिन इस विधि से करें माँ सिद्धिदात्री का पूजन और करें यह आरती
नवरात्र: नवमी के दिन इस विधि से करें माँ सिद्धिदात्री का पूजन और करें यह आरती
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हर साल मनाया जाने वाला नवरात्रि का पर्व इस समय मनाया जा रहा है। जी हाँ, इस समय चैत्र नवरात्रि का पर्व चल रहा है और आज इस पर्व का आखिरी यानी नौवा दिन है। आप सभी को बता दें कि आज राम नवमी है और आज के दिन श्री राम के पूजन के साथ माँ दुर्गा के अंतिम रूप सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं कैसे करना है माँ सिद्धिदात्री का पूजन, उनका भोग और उनकी आरती।

माँ सिद्धिदात्री की पूजा विधि- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अब मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं। इसके बाद मां को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें। जी दरअसल कहा जाता है कि मां को सफेद रंग पसंद है। अब मां को स्नान कराने के बाद सफेद पुष्प अर्पित करें। इसके बाद मां को रोली कुमकुम लगाएं। अब मां को मिष्ठान, पंच मेवा, फल अर्पित करें। इसके बाद माता सिद्धिदात्री को प्रसाद, नवरस युक्त भोजन, नौ प्रकार के पुष्प और नौ प्रकार के ही फल अर्पित करने चाहिए। अब मां सिद्धिदात्री को मौसमी फल, चना, पूड़ी, खीर, नारियल और हलवा अतिप्रिय है। कहा जाता है कि मां को इन चीजों का भोग लगाने से वह प्रसन्न होती हैं। जी हाँ और माता सिद्धिदात्री का अधिक से अधिक ध्यान करें। इसके बाद मां की आरती भी करें। ध्यान रहे अष्टमी के दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता है लेकिन आप नवमी पर भी यह कर सकते हैं।

माँ सिद्धिदात्री की आरती-


जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।

तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।

तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।


कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।

जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।

तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।

तू जगदम्बे दाती तू सर्व सिद्धि है।

रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।

तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।

तू सब काज उसके करती है पूरे।

कभी काम उसके रहे ना अधूरे।

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।

रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।

सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।

जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।

महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।

भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।

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