लालू के दरबार में पहुंचे प्रदीप यादव, कहा- हम पूरी मजबूती के साथ गठबंधन
लालू के दरबार में पहुंचे प्रदीप यादव, कहा- हम पूरी मजबूती के साथ गठबंधन
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लालू प्रसाद यादव अपनी गंभीर बीमारियों का इलाज कराने के लिए रांची के रिम्स में भर्ती चारा घोटाले में सजायाफ्ता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से शनिवार को झाविमो विधायक प्रदीप यादव और सलीम परवेज ने मुलाकात की जा सकती है। मुलाकात के बाद प्रदीप यादव ने कहा कि चुनाव से पहले इनसे मुलाकात हुई थी। चुनाव के बाद इनसे आज मुलाकात हुई है। उनका हालचाल जाना। उनकी तबीयत बहुत अच्छी नहीं है। लालू को बेहतर इलाज की जरूरत है।

प्रदीप बोले, सफल होगी महागठबंधन सरकार
प्रदीप यादव ने कहा कि दो राजनीतिक लोग मिलते हैं तो थोड़ी बहुत राजनीतिक बातें हो जाती हैं। गठबंधन की सरकार बनी है। बिना शर्त हम लोगों ने समर्थन दिया है और मुझे यकीन है कि गठबंधन सफल होगा। झारखंड की समस्याओं के निदान में बेहतर कदम उठा पाएगा। हम पूरी मजबूती के साथ गठबंधन के साथ हैं। चुनाव से पहले यदि जेवीएम महागठबंधन का हिस्सा होती तो बीजेपी जो 65 बार का नारा दे रही थी, वह 65 बार महागठबंधन का होता। इसके अलावा कांग्रेस पार्टी में मौजूद होने की बात का खंडन करते हुए प्रदीप यादव ने कहा कि जब गठबंधन के साथ हैं तो उनकी नेताओं से बातचीत होती ही है। यह एक अफवाह है।सलीम परवेज बोले, लालू को बेहतर इलाज की जरूरत

बिहार के पूर्व राजद उपाध्यक्ष सलीम परवेज ने भी शनिवार को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की जा रही है। मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए परवेज ने कहा कि लालू यादव का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। उन्हें और भी बेहतर इलाज की जरूरत है। महागठबंधन की जीत पर सलीम परवेज ने कहा कि झारखंड राज्य में महागठबंधन की जीत के बाद पूरे देश को यह संकेत मिल चुका है कि गोडसे को मानने वाले हुक्मरान अब धीरे-धीरे खत्म होते जा रहे हैं। एनआरसी और सीएए जैसे काला कानून बिहार की जनता पर थोप कर पूरे बिहार में आग लगाने का काम किया है। पूरे प्रदेश और देश भर में बेरोजगारी आर्थिक मंदी का दौर चल रहा है। केंद्र सरकार तीन मूलभूत विषयों पर कोई ध्यान नहीं दे रही है। हमारे देश की जनता सांप्रदायिक एकता का मिसाल कायम करने वाली है न कि गोडसे की नीति पर चलने वाली। बिहार में आने वाले चुनाव में भी इसका असर देखा जा सकता है। उन्होंने बिहार की नीतीश सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि एनआरसी 370 आदि कानून पर केंद्र सरकार का समर्थन किया जाना एक तरह से काले कानून को समर्थन देने के बराबर है। इन सभी बातों का जवाब आगामी विधानसभा के चुनाव में बिहार की जनता नीतीश सरकार को दे सकती है।

झारखंड विधानसभा चुनाव में झामुमो, कांग्रेस और राजद के महागठबंधन को पूर्ण बहुमत मिलने के बाद से ही रिम्स में लालू के वार्ड का माहौल बदला-बदला सा है। इस दौरान रिम्स में नेता-कार्यकर्ता का जुटान दिख रहा है। यहां जेल मैनुअल की खुलेआम धज्जियां उड़ रही हैं। जेल प्रशासन से लेकर पुलिस-प्रशासन तक ने मुलाकातियों को खुली छूट दे दी है। दो दिन पहले मिले थे कई लोगबुधवार को बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, गुरुवार को झारखंड के नामित मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, बेरमो विधायक राजेंद्र प्रसाद सिंह व बिहार के पूर्व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह सहित आधा दर्जन से अधिक लोग लालू से मिले। अब शनिवार को भी लालू का दरबार सजेगा, क्योंकि शनिवार उनसे मुलाकात का दिन है। गुरुवार को आधा दर्जन से ज्यादा लोगों के मुलाकात पर छपी खबरों के बाद डीएसपी सदर दीपक पांडेय रिम्स में जांच को पहुंचे जरूर, लेकिन वहां लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज तक की जांच नहीं की जा रही है। यदि सीसीटीवी फुटेज देखते तो हकीकत खुद-ब-खुद सामने आ जाती। सदर डीएसपी दीपक पांडेय शुक्रवार को रिम्स के पेइंग वार्ड में सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी लेने पहुंचे थे। दोपहर लगभग  12:30 बजे वे पेइंग वार्ड पहुंचे और सीधे पहले तल्ले पर चले गए। जहां उन्होंने सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों से बातचीत की। लगभग 20 मिनट निरीक्षण के बाद वे पेइंग वार्ड से बाहर निकले। सदर डीएसपी दीपक पांडेय ने बताया कि रूटीन चेकअप के लिए निरीक्षण किया गया। इसके साथ ही लालू प्रसाद की सुरक्षा का जायजा भी लिया गया। उन्होंने बताया कि पेइंग वार्ड में तैनात कई पुलिसकर्मी चुनाव ड्यूटी में गए हुए थे। वे ड्यूटी से वापस आए या नहीं इसकी भी जानकारी ली गई। उन्होंने बताया कि सुरक्षा में फिलहाल किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है।

उठते सवाल
जेल अधीक्षक ने जब तीन मुलाकाती के लिए दी विशेष अनुमति, तो रजिस्टर में किसी का नाम दर्ज क्यों नहीं? हमेशा मुलाकात से पहले कराया जाता है मुलाकातियों से हस्ताक्षर, नियमों को ताक पर रखते हुए पुलिसकर्मियों की मिलीभगत से हुआ यह काम। जेल मैनुअल के अनुसार विशेष परिस्थिति में केवल परिवार के लोगों को विशेष परिस्थिति में ही मिलने का प्रावधान है, फिर अन्य लोग कैसे मिले। जेल मैनुअल के अनुसार सप्ताह में सिर्फ एक दिन ही कैदी से मिलने की अनुमति है, जिसमें अधिकतम तीन सदस्य ही मिल सकते हैं और वह भी केवल परिवार के सदस्य। इसकी जगह वहां राजनीति से जुड़े लोगों का मिलना जेल प्रशासन की गतिविधियों पर भी सवाल उठा रहा है। जेल प्रशासन तो यह मानने को तैयार नहीं है कि गुरुवार को तीन लोग से अधिक मिले, लेकिन अब तक सीसीटीवी फुटेज की जांच नहीं करना, जेल प्रशासन की मिलीभगत के आरोपों को पुष्ट कर रहा है।

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