मुस्लिम युवक ने की दूसरी शादी, पहली पत्नी ने किया केस
मुस्लिम युवक ने की दूसरी शादी, पहली पत्नी ने किया केस
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हाल ही में छत्तीसगढ़ में रहने वाले एक पुरुष के खिलाफ 2 पत्नियां रखने का एक ताजा मामला कोर्ट के सामने आया था. जिसकी शिकायत को खारिज करने के लिए एक जवाबी अर्जी भी दायर की गई. लेकिन अब गुजरात हाईकोर्ट इस मामले पर पुनः विचार कर रही है कि क्या आईपीसी को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कानूनों से ऊपर मान्यता दी जानी चाहिए. दरअसल मर्चेंट नाम के एक मुस्लिम युवक ने अपनी पत्नी साजिदा बानू की मर्जी के बगैर वर्ष 2003 में दूसरी शादी कर ली.जिसके ठीक एक साल बाद साजिदा ने मर्चेंट के खिलाफ 2 पत्नियां रखने के आरोप में शिकायत दर्ज कराई थी. और गुजरात की भावनगर पुलिस ने मर्चेंट को 2 पत्नियां रखने और अपनी पत्नी के साथ मारपीट करने एवं दहेज मांगने से संबंधित धाराओं के तहत मामला भी दर्ज किया.

वैसे तो भारतीय दंड संहिता की धारा 494 के अनुसार 2 पत्नियां रखें अपराध की श्रेणी में आता है. और इसमें सजा का भी प्रावधान है. मर्चेंट ने वर्ष 2010 में हाईकोर्ट का रुख कर लिया था उसका दावा था कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत दूसरी शादी करना कोई अपराध नहीं है क्योंकि इस्लामिक कानूनों के मुताबिक एक पुरुष को 4 शादियां कर सकता है. इस दलील के खिलाफ साजिदा के वकील ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार पुरुष को अपनी सभी पत्नियों के साथ समान बर्ताव करना चाहिए, लेकिन मर्चेंट ने अपनी पहली पत्नी की सहमति के बिना दूसरी शादी कर ली और इस तरह उसने ना सिफ मुस्लिम पर्सनल लॉ को तोड़ा, बल्कि अपनी पत्नी के साथ गलत भी किया. दोनों पक्षों द्वारा अपनी-अपनी दलीलें कोर्ट के सामने पेश करने के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है. आपको बता दे कि 1955 में हिंदू मैरेज ऐक्ट के लागू होने तक हिंदुओं को भी एक से अधिक शादियां करने की इजाजत थी.

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