हिजाब केस: 'आप क़ुरान को नहीं समझ सकते..', सुप्रीम कोर्ट से बोला मुस्लिम पक्ष
हिजाब केस: 'आप क़ुरान को नहीं समझ सकते..', सुप्रीम कोर्ट से बोला मुस्लिम पक्ष
Share:

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय में हिजाब बैन मामले में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष का रवैया अचानक बदला-बदला सा नज़र आया। सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट की काबिलियत पर ही सवाल खड़े कर दिए। मुस्लिम पक्ष की तरफ से यह कहा गया है कि अदालत, अरबी में पर्याप्त कुशल नहीं होने की वजह से कुरान की व्याख्या करने में सक्षम नहीं है। कोर्ट में दलील दी गई कि कुरान की व्याख्या करके इस्लाम के लिए हिजाब की अनिवार्यता का निर्धारण करने की जगह कोर्ट को हिजाब को एक व्यक्तिगत महिला के अधिकार के तौर पर देखना चाहिए। महिला अपनी गोपनीयता, गरिमा और पहचान की रक्षा के लिए हिजाब को चुन सके। 

बता दें कि सोमवार को शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने कहा कि अदालत के पास कोई विशेषज्ञता नहीं है, इसलिए उन्हें कुरान की व्याख्या में नहीं जाना चाहिए था। इस सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की तरफ से यह नई दलील पेश की गई। इससे पहले यह दलील दी गई थी कि हिजाब इस्लाम के लिए अनिवार्य है। दरअसल, इस तर्क के बाद अदालत की तरफ से यह जानने का प्रयास किया गया कि आखिर हिजाब कैसे इस्लाम में अनिवार्य हो गया। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्‍ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की बेंच ने फातमा बुशरा नाम की याचिकाकर्ता के वकील मोहम्‍मद निजामुद्दीन पाशा से यह प्रश्न पुछा था।

वहीं, मुस्लिम पक्ष के वकील युसूफ मुछला ने कोर्ट में कहा कि, 'गोपनीयता का मतलब शरीर और दिमाग की स्वायत्तता है। जब कोई मुस्लिम महिला, हिजाब पहनना चाहती है, तो यह उसकी पसंद है कि वह सशक्त महसूस करे और साथ ही अपनी गरिमा और निजता की रक्षा करे। अगर एक महिला को लगता है कि हिजाब पहनना उचित है, तो उसे इसका पालन करना चाहिए। यह कहना न्यायालयों का काम नहीं है। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हिजाब की अनिवार्यता पर फैसला देने के लिए कुरान की एक व्याख्या का उपयोग किया, जो आपत्तिजनक है।'

यूसुफ मुछला ने अदालत में दलील देते हुए कहा कि 'अमृतधारी' सिख लड़कियां भी पगड़ी पहनती हैं और इसे शैक्षणिक संस्थान में पहनने के उनके अधिकार की भी उतनी ही रक्षा की जानी चाहिए, जितनी मुस्लिम लड़कियों द्वारा हिजाब पहनने की। हम व्यक्तिगत अधिकारों से चिंतित हैं। क्या हिजाब इस्लाम के लिए अनिवार्य है, यह याचिकाओं के इन बेंचों में कोई सवाल नहीं है। मुछला ने कहा कि मैं यह नहीं चाहता कि कोर्ट, इस्लाम के लिए हिजाब की अनिवार्यता की जांच करे।

सावधान ! चार्ज पर लगे मोबाइल में अचानक हुआ ब्लास्ट, 8 माह की बच्ची की मौत

हसन ने कोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं हटाया अवैध मदरसा, अब प्रशासन ने चला दिया बुलडोज़र

कोरोना काल में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की हो जांच.., दिया जाए मुआवज़ा - संसदीय कमेटी

 

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -