पाकिस्तान की मुनिबा मजारी बनी संयुक्त राष्ट्र की पहली सद्भावना दूत
पाकिस्तान की मुनिबा मजारी बनी संयुक्त राष्ट्र की पहली सद्भावना दूत
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इस्लामाबाद : दुनियाभर की आबो हवा में बदलाव दिख रहा है। एक ओर जहां सउदी में महिलांए पहली बार मतदान कर रही है और चुनाव में खड़ी हो रही है तो वहीं दूसरी ओर पहली बार पाकिस्तान से कोई संयुक्त राष्ट्र में सद्भावना दूत बनकर गया है। मुनिबा मजारी पाकिस्तान की पहली सयुक्त राष्ट्र सद्भावना दूत है। उन्हें यह जिम्मेदारी महिला सशक्तिकरण औऱ लैंगिक समानता के लिए काम करने वाली यूएन की इकाई ने दिया है।

मजारी दोनो पैरों से अक्षम है फिर भी उनकी काम के प्रति लगन कम नही होती है। मजारी ने कहा कि वो देश में लैंगिक भेदभाव खत्म करने और समानता को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र की महिला इकाई के साथ जी जान से काम करेंगी। ‘2030 प्लैनेट 50-50’ मुहिम के तहत संयुक्त राष्ट्र लैंगिक समानता पर काम कर रहा है। मजारी पाकिस्तान के बलूचिस्तान में 3 मार्च 1987 को जन्मी है।

2001 में वो एक कार हादसे का शिकार हो गई। उनकी कार खाई में जा गिरी। रीढ़ में गंभीर चोंटे आई और दोनो पैर लकवा ग्रस्त हो गए। पर हार मानना उनकी आदत नही थी। अस्पताल के बिस्तर से ही उन्होने पेंटिंग सीखी और फाइन आर्ट में स्नातक की डिग्री हासिल की। यही उनकी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ और उन्होने अपना जीवन अक्षम लोगो को न्योछावर कर दिया।

खाली समय में वो मॉडलिंग भी करती है। मजारी पाकिस्तान की जानी-मानी पेंटर, लेखक और प्रेरक वक्ता हैं। इतना ही नही वो पीटीवी के लिए एंकरिंग भी करती है। वह ऐसी इकलौती एंकर है जो व्हील चेयर पर बैठकर एंकरिंग करती है। उनकी रचनाओं में भी समाज कल्याण की भावना झलकती है।

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