नई दिल्ली: आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई की पुण्यतिथि है। उनका जन्म गुजरात के बुलसर जिले के अंतर्गत आने वाले भदेली में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा सौराष्ट्र के ‘द कुंडला स्कूल’ से ली। इसके बाद मुंबई के विल्सन कॉलेज से ग्रेजुएट की पढ़ाई करने के बाद वे गुजरात सिविल सेवा में चले गए। गोधरा के डिप्टी कलेक्टर बने मोरार जी देसाई पर 1927-28 के दौरान गोधरा में भड़के दंगों में भेदभाव करने का अरोप लगा था। जिसके बाद इन्होंने 1930 में अपने पद से त्यागपत्र दे दिया।
इसके बाद वह स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने लगे। इस दौरान यह कई दफा जेल भी गए। 1931 में वह गुजरात प्रदेश की कांग्रेस समिति के सचिव बनने के बाद पूरी तरह से राजनीति में उतर गए। सन 1934 और 1937 के प्रांतीय चुनाव संपन्न होने के बाद इन्हें बॉम्बे प्रेसीडेंसी का राजस्व और गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंप दी गई। अब तक यह राष्ट्रीय सियासत में बड़ी पहचान बना चुके थे। राष्ट्रवादी और भ्रष्टाचार विरोधी नेता के रूप में पहचाने जाने वाले मोरार जी देसाई को देश के भावी पीएम के तौर पर देखा जा रहा था।
हालांकि कांग्रेस में नेहरु परिवार की सक्रियता के कारण इन्हें प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी कभी नहीं मिल सकी। इसके बाद वे जनता पार्टी में राजनीति करने लगे। इसके बाद सन 1977 में मोरारजी देसाई की अगुवाई में जनता पार्टी की सरकार बनी और वे देश के छ्ठे पीएम बने। 81 वर्ष की आयु में प्रधानमंत्री बने मोरार जी ने अपने शासनकाल में कई बड़े फैसले लिए। उन्होंने 1978 में 100 से ऊपर को नोटों को बंद कर सबको हैरान कर दिया था। उन्होंने 16 जनवरी 1978 काे 1,000, 5,000 व 10,000 के नोट प्रचलन से बाहर कर दिए थे। जो कुल करेंसी का 20 फीसद हिस्सा थे। उस समय 95 फीसद भारतीयों ने ये नोट देखे भी नहीं थे। हालांकि उनकी सरकार मात्र 2 वर्ष ही चल सकी थी।
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