नईदिल्ली। शहीदों की चिताओं पर हर बरस लगेंगे मेले, वतन पर मिटने वालों का बाकि यही निशा होगा। इस तरह की पंक्तियां हम अक्सर सुनते रहे हैं लेकिन सरकार इस तरह की पंक्तियों से शायद कोई वास्ता नहीं रखती है। दरअसल जिस तरह की जानकारी सामने आई है उससे तो यही लगता है। कि देश में रहने वाले देशभक्तों का सरकार को पता नहीं है और न ही सरकार देशद्रोहियों की जनकारी रखती है।
मिली जानकारी के अनुसार केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा मुरादाबाद निवासी पवन अग्रवाल की ओर से दायर किए गए आवेदन को लेकर केंद्रीय गृहमंत्रालय से ऐेसे लोगों की सूची सार्वजनिक करने के लिए कहा था जो कि कथित तौ पर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहते हैं ऐसे लोग देशद्रोह के मामले का सामना करते हैं। यूं तो यह जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय से मांगी गई थी लेकिन पीएमओ ने इसे केंद्रीय गृहमंत्रालय की ओर भेज दिया।
जो आवेदन पीएमओ से होते हुए एचएम अर्थात होम मिनिस्ट्री भेजा गया उसमें शहीद, राष्ट्रविरोधी घोषित लोगों की सूची मांगी गई थी। एचएम ने अपने उत्तर में कहा है कि ऐसे लोगों की सूची उनके पास नहीं है जिन्हें देशभक्तों या शहीदों या फिर राष्ट्रविरोधियों के तौर पर वर्गीकृत किया गया हो। गृहमंत्रालय ने कहा कि इस तरह का कोई पैमाना नहीं है जिससे लोगों को देशद्रोही, देशभक्त या फिर शहीद के तौर पर लिया जा सके।
इस मामले में सूचना आयुक्त सुधीर भार्गव ने अपने आदेश में कहा कि सार्वजनिक प्राधिकरण वह सूचना उपलब्ध करवाने के लिए जिम्मेदार है जिसका रिकाॅर्ड मौजूद है। जो कि प्राधिकरण के पास है और उसके नियंत्रण में है। इस मामले में पवन अग्रवाल ने कहा कि जिन लोगों पर देशद्रोह के मामले दायर हैं उनका रिकाॅर्ड जरूर गृहमंत्रालय के पास होगा या जो देशविरोधी गतिविधियों में शामिल हैं उनके बारे में व स्वाधीनता संग्राम सेनानियों को लेकर मंत्रालय को जानकारी होगी।
ऐसे में सूचना आयुक्त भार्गव द्वारा कहा गया कि वर्ष 2014 में देशद्रोह के मामले 47 थे। यह जानकारी राष्ट्रीय अपराध अनुसंधान ब्यूरो के अनुसार दी गई थी। उन्होंने कहा कि स्वाधीनता संग्राम सेनानियों की दिशा में भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद संस्कृति मंत्रालय की परियोजना द्वारा काम किया जा रहा है। इसका नाम शहीदों का शब्दकोश दिया गया है।
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