खुलकर बोला यह गीतकार- 'आप आओगे तो मर जाओगे, फांसी लगा लोगे'
खुलकर बोला यह गीतकार- 'आप आओगे तो मर जाओगे, फांसी लगा लोगे'
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बॉलीवुड में इस समय नेपोटिज्म का मुद्दा उठ गया है हर कोई इस मुद्दे पर बात कर रहा है. ऐसे में केवल बॉलीवुड ही नहीं बल्कि म्यूजिक इंडस्ट्री में भी इसी विषय पर बात हो रही है. बीते दिनों ही मशहूर सिंगर सोनू निगम ने कहा, "म्यूजिक इंडस्ट्री में भी अगर गुटबाजी खत्म नहीं हुई तो यहां से भी कोई बुरी खबर आ सकती है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर वीडियो जारी कर कहा कि फिल्मों से बड़ा है म्यूजिक माफिया. म्यूजिक इंडस्ट्री में जो नए बच्चे आए हैं, वो परेशान हैं. म्यूजिक इंडस्ट्री के दो लोगों के हाथों में ताकत है, जिनकी कंपनी है, जो फैसला करते हैं कि इस सिंगर को लो, दूसरों को नहीं. आप लोग ऐसा मत करो. बददुआ बुरी चीज होती है." अब हाल ही में सोनू निगम के बाद गीतकार मनोज मुंतशिर ने अपनी बात रखी है. वह म्यूजिक माफिया पर यकीन नहीं करते. वह फिल्म 'एक विलेन' में 'गलियां...', 'रुस्तम' के लिए 'तेरे संग यारा...', 'एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' में 'कौन तुझे...', 'केसरी' के लिए 'तेरी मिट्टी...' जैसे कई सफल गीतों के बोल लिखने वाले गीतकार है.

हाल ही में उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि म्यूजिक इंडस्ट्री में कोई म्यूजिक माफिया जैसी चीज भी काम करती है. जिस तरह से कई चीजों को पेश किया जा रहा है, यहां उतना अंधेरा नहीं है, जितना कि बताया जा रहा है. रही बात टैलेंट के स्ट्रगल की तो ये स्ट्रगल शुरू से ही था और हमेशा से रहेगा. "ये एक अफवाह है कि जो लोग बाहर से आते हैं, उन्हें काम नहीं मिलता है. जो लोग बाजी हार चुके हैं, वो ही ऐसा कहते हैं. इस तरह की अफवाहों से हमें ही नुकसान हो रहा है. ये सब करके हमने लोगों के बीच एक डर पैदा कर दिया है. " इसके अलावा उन्होंने कहा, "परेशानी ये है कि हमने अब लोगों को डरा दिया है, ये कहकर कि यहाँ आप आओगे तो मर जाओगे, फांसी लगा लोगे. ये कोई जहन्नुम इंडस्ट्री नहीं है. ये एक खूबसूरत इंडस्ट्री है और अगर आपके पास प्रतिभा है तो आपको मौका जरूर दिया जाएगा." उनका कहना है, "अगर कोई कहता है कि मैंने बहुत कुछ झेला है. मझे इस बात का दुःख है लेकिन ये तकलीफ तो हर क्षेत्र में है. संघर्ष भी हर क्षेत्र में है. इसका मतलब ये नहीं कि बाहर के लोगों के लिए दरवाजे बंद हैं. ये एक बिजनेस है. मान लो मैं एक प्रोडूसर हूं और म्यूजिक कंपनी का मालिक भी हूं और मुझे जरूरत है अच्छे टैलेंट की तो मैं क्यों नहीं लूंगा. मैं जरूर लूंगा."

इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा, "छोटे शहरों से आप मुंबई ट्रेन पकड़कर आते हो और आपके पास है कुछ देने के लिए तो लोग खड़े हैं, उसे लेने के लिए. इंडस्ट्री में आज भी टैलेंट की कमी है. बस दिक्कत ये है कि आप टैलेंट लेकर नहीं आते हो, आप अपने आपको मानसिक तौर पर मजबूत नहीं करते हो. आपको किसने बोला कि आप यहां आओ और आपके कदमों के लिए फूल बिछा दिए जाएंगे. मुंबई में भूखा तो सोना पड़ेगा, फुटपाथ पर भी रहना पड़ेगा. ये सब तो मैंने भी किया है. इसका मतलब ये नहीं कि मैं भी उठकर बोलने लगूं कि इंडस्ट्री ने फुटपाथ पर रखा. हां रखा है तो आज यही इंडस्ट्री मुझे ऑडी से भी घुमा रही है. सब कुछ रातों रात नहीं बदलता. वक्त लगता है." इसी के साथ आगे उन्होंने कहा, "मैं 1999 में आया था मुंबई, लेकिन 2014 में मेरा पहला गाना फिल्म 'एक विलेन' का हिट हुआ. तो क्या मैं इन 15 सालों की शिकायत करूं या संघर्ष करूं, ये आपकी अपनी व्यक्तिगत राय है कि आप किसे चुनते हैं और मैंने संघर्ष को चुना है, शिकायतें नहीं."

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