Oct 17 2015 06:47 PM
रोहतक: असहमति के अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हक़ में लड़ी जा रही आवाज़ दिन ब दिन और तेज़ होती जा रही है, लेखको की अटूट एकता और दृढ संकल्प का परिचय देते हुए इस बार हरियाणा के हिंदी के वरिष्ठ कवि व चिंतक मनमोहन ने भी सम्मान को लौटा दिया है. 2007-08 में मिला महाकवि सूरदास सम्मान, 1 लाख पुरस्कार राशि, शौल, प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिहृ अकादमी को आज मनमोहन ने लौटा दिया.
मनमोहन के समर्पण का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है की उन्होंने 1 लाख की पुरस्कार राशि, वैचारिक नवजागरण मूल्यों के लिए काम कर रही स्वैच्छिक सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था हरियाणा ज्ञान-विज्ञान समिति को भेंट कर दी थी. पर विरोध के तहत अपने पास से पूरी राशि मिला कर चेक अकादमी को भेजा, इन लगातार लौटाए जा रहे सम्मानो और आहत हो रही लेखको की भावनाओ को देख कर भी सरकार चुप है. इसके साथ अकादमी पुरस्कार के अस्तित्व पर सवालिया निशान लग गए है.
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