श्रीलंका चुनाव : यूएनएफ जीत की ओर अग्रसर, राजपक्षे ने हार मानी
श्रीलंका चुनाव : यूएनएफ जीत की ओर अग्रसर, राजपक्षे ने हार मानी
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कोलंबो: श्रीलंका में हुए संसदीय चुनाव की मंगलवार को जारी मतगणना में प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के नेतृत्व वाला सत्तारूढ़ युनाइटेड नेशनल फ्रंट (यूएनएफ) जीत की ओर अग्रसर दिख रहा है। मुख्य प्रतिद्वंद्वी एवं पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने चुनाव में अपनी हार स्वीकार कर ली है। देश की अल्पमत सरकार में प्रमुख घटक युनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) ने भरोसा जताया है कि अगली सरकार गठन के लिए 225 सदस्यीय संसद में उसे पर्याप्त सीटें मिल जाएंगी, यूएनपी के लिए चुनाव प्रचार अभियान का नेतृत्व कर रहे मंत्री कारू जयसूर्या ने कहा कि यूएनएफ 105-107 सीटें जीतने को लेकर आश्वस्त है और सरकार बनाने के लिए उसे सहयोगी दलों का समर्थन प्राप्त है।

यूएनपी नेता जॉन अमरतुंगा ने गमपाहा संसदीय सीट जीतने के बाद कहा, "हम अपना वादा पूरा करना चाहते हैं और देश का विकास करना चाहते हैं।" उन्होंने कहा कि विक्रमसिंघे मंगलवार को नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ले सकते हैं, यूएनपी को 14 सालों में पहली बार गमपाहा सीट पर जीत हासिल हुई है, जो जनता के रुझान में आए बड़े बदलाव का स्पष्ट संकेत है, इस चुनाव में मुख्य प्रतिद्वंद्वी और पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को कराए गए संसदीय चुनाव में अपनी हार स्वीकार कर ली है, राजपक्षे ने अंतर्राष्ट्रीय समाचार एजेंसी 'एएफपी' से कहा, "प्रधानमंत्री बनने का मेरा सपना चूर हो गया। मैं स्वीकार करता हूं कि हम एक अच्छी लड़ाई हार गए हैं।"

निर्वाचन अधिकारियों ने कहा कि यूएनपी 22 में से 11 जिलों में विजयी रही है, जहां नतीजे घोषित किए जा चुके हैं। यूपीएफए ने आठ और तमिल नेशनल अलायंस (टीएनए) ने तमिल बहुल उत्तरी प्रांत में तीन जिलों में जीत दर्ज कराई है, यूपीएफए को ज्यादातर सिंहली बहुल इलाकों में जीत मिली है, जिनमें राजपक्षे परिवार का गढ़ हंबनटोटा भी शामिल है, मतगणना के नतीजों से पता चलता है कि यूएनएफ ने उन जिलों में भी इस दफा अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर राजनीति का कायापलट कर दिया है, जहां जनवरी में हुए राष्ट्रपति चुनाव में राजपक्षे की स्थिति मजबूत थी, जाफना एवं वान्नी जिलों में लोगों ने टीएनए को वोट दिया, जो विक्रमसिंघे को समर्थन दे सकता है, श्रीलंका में आम चुनाव के तहत सोमवार को हुए मतदान में प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के नेतृत्व वाले युनाइटेड नेशनल फंट्र (यूएनएफ) और पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के युनाइटेड पीपुल्स फ्रीडम अलाएंस (यूपीएफए) के बीच कड़ा मुकाबला था।

विक्रमसिंघे ने लोगों से अपील की कि जनता विजेता और पराजित के रूप में न बंट जाएं, बल्कि एक परिवार की तरह मिलकर काम करे, ताकि श्रीलंका को विकास के पथ पर आगे ले जाया जा सके और देश में एक नई राजनीतिक संस्कृति की शुरुआत हो।

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