महानता की परिभाषा थे महाराणा प्रताप, फिर भी लाखों लोगों को मारकर महान कहलाता था अकबर
महानता की परिभाषा थे महाराणा प्रताप, फिर भी लाखों लोगों को मारकर महान कहलाता था अकबर
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आज पुरे देश में महाराणा प्रताप की जयंती मनाई जा रही है, वही भारतीय इतिहास में राजपुताने का गौरवपूर्ण स्थान रहा है। यहां के रणबांकुरों ने देश, जाति, धर्म और स्वाधीनता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने में कभी संकोच नहीं किया। उनके इस त्याग पर संपूर्ण भारत को गर्व रहा है। वीरों की इस भूमि में राजपूतों के छोटे-बड़े अनेक प्रदेश रहे जिन्होंने देश की स्वाधीनता के लिए संघर्ष किया। इन्हीं राज्यों में मेवाड़ का अपना एक खास स्थान है जिसमें इतिहास के गौरव बप्पा रावल, खुमाण प्रथम महाराणा हम्मीर, महाराणा कुम्भा, महाराणा सांगा, उदयसिंह तथा वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप ने जन्म लिया है।

प्रश्न यह उठता है कि महानता की परिभाषा क्या है। अकबर हजारों व्यक्तियों की हत्या करके महान कहलाता है तथा महाराणा प्रताप हजारों लोगों की जान बचाकर भी महान नहीं कहलाते हैं। दरअसल, हमारे देश का इतिहास अंग्रेजों तथा कम्युनिस्टों ने लिखा है। उन्होंने उन-उन लोगों को महान बनाया जिन्होंने भारत पर अत्याचार किया या जिन्होंने देश पर आक्रमण करके उसे लूटा, भारत का धर्मांतरण किया तथा उसका मान-मर्दन कर भारतीय गौरव को समाप्त किया। अकबर ने रूपमती के लिए मालवा-निमाड़ को खून में डुबो दिया था। मेवाड़ के महान राजपूत नरेश महाराणा प्रताप अपने पराक्रम तथा शौर्य के लिए पुरे विश्व में मिसाल के रूप में जाने जाते हैं। एक ऐसा राजपूत सम्राट जिसने जंगलों में रहना पसंद किया किन्तु कभी विदेशी मुगलों की दासता कबूल नहीं की। उन्होंने देश, धर्म तथा स्वाधीनता के लिए सब कुछ न्योछावर कर दिया। 

वही कितने लोग हैं जिन्हें अकबर की वास्तविकता मालूम है तथा कितने लोग हैं जिन्होंने महाराणा प्रताप के त्याग और संघर्ष को जाना? प्रताप के काल में दिल्ली में तुर्क सम्राट अकबर का शासन था, जो देश के सभी राजा-महाराजाओं को अपने अधीन कर मुगल साम्राज्य की स्थापना कर इस्लामिक परचम को पूरे विश्व में फहराना चाहता था। इसके लिए उसने नीति तथा अनीति दोनों का ही सहारा लिया। 30 सालों की निरंतर कोशिश के बावजूद अकबर महाराणा प्रताप को बंदी न बना सका।

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