चेन्नई : मद्रास हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले मे मध्यस्थता का निर्णय सुनाया था. हाईकोर्ट ने दुष्कर्म मामले में मध्यस्थता संबंधी अपने आदेश को आज वापिस ले लिया है. दुष्कर्म के मामले में जज ने आरोपी को इसलिए जमानत दे दी थी ताकि वह पीड़िता के साथ समझौता करने की प्रक्रिया में सम्मिलित हो पाये. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता और अपराधकर्ता के बीच मध्यस्थता के सभी प्रयासों को पूरी तरह से अनुचित करार दिया.
दुष्कर्म के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों के बीच विवाह कराने को लेकर मध्यस्ता जैसा कमजोर कदम उठाने के प्रयास किये थे, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह की मध्यस्थता को बढ़ावा देने संबंधी मद्रास हाईकोर्ट के निर्णय को बड़ी गलती करार दिया था.
मद्रास हाईकोर्ट ने नाबालिग से रेप के मामले में मध्यस्थता संबंधी निर्णय देकर आरोपी को जमानत दी ताकि वह पीड़िता के साथ समझौते की प्रक्रिया में शामिल हो सके. इसके साथ ही जस्टिस डी. देवदास ने आरोपी से कहा है कि वह पीड़िता के नाम पर एक लाख रुपए की एफडी भी करवा दे. पीड़िता के माता-पिता का निधन देहांत हो चुका है और वह दुष्कर्म के बाद जन्में बच्चे की मां है. निचली अदालत ने 2002 में आरोपी को सात वर्षो की कैद और दो लाख रुपए जुर्माने की सजा की घोषणा की थी.