राजकीय सम्मान के साथ आज पैतृक गांव में होगा हनुमंथप्पा का अंतिम संस्कार
राजकीय सम्मान के साथ आज पैतृक गांव में होगा हनुमंथप्पा का अंतिम संस्कार
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धारवाड़ ​: सियाचीन में जहां 10 मिनट बर्फ में दबे रहने से दिमाग की नशें शिथिल पड़ जाती है, वहां भी 6 दिनों तक लांस नायक हनुमंथप्पा मौत को हराकर जिंदगी की जंग जीते, पर आखिरकार मौत ने उन्हें अपने आगोश में ले ही लिया। शुक्रवार को उनके पैतृक निवास कर्नाटक के धारवाड़ जिले के बेतादूर गांव में पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

इससे पहले उनके पार्थिव शरीर को शहर के नेहरु मैदान में रखा जाएगा, ताकि लोग अपने धरती के लाल को आखिरी श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें। शहीद हनुमंथप्पा के पार्थिव शरीर को गुरुवार की रात को हुब्बली लाया गया। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अपने मंत्रिमंडल सहयोगी एच के पाटिल और विनय कुलकर्णी के साथ शहीद के पार्थिव शरीर को लेने हवाई अड्डे पर पहुंचे।

कर्नाटक सरकार ने शहीद जवान के परिवार को 25 लाख रुपए की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। गुरुवार को लांस नायक हनुमंथप्पा का सुबह 11.45 बजे देहांत हो गया था। बेटादूर गांव के रहने वाले कोप्पड़ 13 वर्ष पहले सेना से जुड़े थे। उन्हें नौ फरवरी को यहां आर्मी रिसर्च ऐंड रेफरल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। तीन फरवरी को 19,600 फुट की उंचाई पर सियाचिन में हिमस्खलन के बाद बर्फ में दबने के बावजूद वह छह दिन तक मौत को मात देने में सफल रहे थे।

उन्हें चमत्कारी मानव का नाम दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधीव राहुल गांधी, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास, अमित शाह, उमर अब्दुल्ला व रविशंकर प्रसाद ने हनुमंथप्पा की मौत पर शोक व्यक्त किया।

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