नयी दिल्ली : भारत में दोबारा आपातकाल लगने की सम्भावना संबंधी अपने बयानों को लेकर इन दिनों भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी चर्चा में है. आडवाणी शुक्रवार को बोले कि वह राजनीतिक दलों में ‘वन मैन शो’ के विरोधी हैं और आज के नेताओ के स्वभाव में अटल बिहारी वाजपेयी की तरह विनम्रता होनी चाहिए. आडवाणी बोले, अहंकार तनाशाही का जन्मदाता है. यह बहुत दुख का विषय है. आज के नेताओं को वाजपेयी जैसा विनम्र होना चाहिए. इस सवाल के पूछे जाने पर कि क्या राजनीतिक नेतृत्व में तानाशाही की प्रवृत्ति उभरी है, आडवाणी ने कहा, मैं राजनीतिक दलों में सदा से ही वन मैन शो का विरोधी रहा हूँ.
आपातकाल पर अपनी विवादास्पद टिप्पणी पर सफाई देते हुए आडवाणी बोले, मैंने जब बयान दिया था तब मेरा आशय व निशाना किसी व्यक्ति विशेष पर नहीं था. मैं हर तरह की तानाशाही का विरोध करता हु. आडवाणी ने कहा, वाजपेयी सफल रिकॉर्ड के साथ एक कद्दावर नेता थे लेकिन उस समय किसी ने ध्यान नहीं दिया किसी कि वाजपेयी इंडिया हैं और इंडिया वाजपेयी है. एक साक्षात्कार में आडवाणी ने यह भी कहा, जो कोई भी सत्ता में आता है, सत्ता पर पकड़ बनाये रखना चाहता है और उन्होंने आगाह किया कि जो भी सत्ता का गलत उपयोग करेगा, उसे मतदाता कडा सबक सिखाएंगे. आडवाणी बोले " दुर्व्यहवार के विरोध में सर्वश्रेष्ठ सुरक्षा मतदाता है.
जब उनसे सवाल किया गया कि अगर कोई नेता सत्ता को लेकर भुलावे में रहता है या अपने अधिकारों का गलत प्रयोग की मंशा रखता है तो क्या भारतीय मतदाता ऐसे नेता को सबक सिखाएंगे तो उनका उत्तर था, हां, भाजपा नेता ने कहा कि भारत में दूसरी बार भी आपातकाल की स्थिति आसानी से बन सकती है. आडवाणी ने अपने साक्षात्कार में कहा "जो भी सत्ता में आता है, वह उसे हाथ से नहीं जाने देना चाहता है. यह धन के लालच की तरह है एक बार मिल जाए तो हमेशा पाने की लालसा बनी रहती है.
उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार को दिये इंटरव्यू में बोला था, फिलहाल लोकतंत्र को कुचल सकने वाली ताकतें अधिक शक्तिशाली है. इस बयान का जिक्र करते हुए जब पूछा गया कि क्या यह मौजूदा परिप्रेक्ष्य में की गयी टिप्पणी थी तो आडवाणी ने किसी भी तरह की सम्भावना से इंकार कर दिया. आडवाणी ने कहा, मुझे पता है कि मेरे बयान में बहुत मजबूत नहीं अपितु केवल मजबूत कहा था. मुझे आश्चर्य इस बात पर है कि जिन्होंने देश में इतना भयावह आपातकाल लागू किया था, उन्हें इसके लिए कोई अपराधबोध नहीं है. मुझे यह पीड़ादायक लगता है.