कोरवा युवा तीर-कमान छोड़ थाम रहे स्टेयरिंग
कोरवा युवा तीर-कमान छोड़ थाम रहे स्टेयरिंग
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रायपुर : छत्तीसगढ़ में जशपुर के कोरवा पहाड़ी क्षेत्र के युवाओं के जिन हाथों में कभी तीर-धनुष हुआ करता था, अब इनके हाथों में चार पहिया वाहन का स्टेयरिंग आ गया है। यानी उन हाथों को जीवन का नया आधार मिल गया है। कोरवा के जो युवा नंगे पाव जंगल के कठिन और दुर्गम रास्तों से होकर इधर-उधर पैदल चला करते थे, उनके पांव से अब एक्सीलेटर दबा करते हैं। खुद के हाथों में वाहन की स्टेयरिंग और पांव में एक्सीलेटर इनके उस भविष्य की भी स्टेयरिंग है जो इन्हें गरीबी के दलदल से निकालने के साथ ही विकसित समाज और शहर की ओर ले जाएगा। ग्राम गीधा के पहाड़ी कोरवा संजय राम की कुछ ऐसी ही इच्छा है। अंत्यावसायी विभाग से पैसेंजर व्हीकल मिलने के बाद सिर्फ मुसाफिरों को उनकी मंजिल तक पहुचाना ही इनका मकसद नहीं है, बल्कि खुद का आर्थिक स्तर संवारने के साथ ही अपनी दो साल की बेटी खुशबू को अच्छे स्कूल में पढ़ाना और उसे मुकाम तक पहुंचाना भी उसकी प्राथमिकता में है।

राज्य शासन द्वारा प्रदेश की विशेष पिछड़ी जनजाति के विकास के लिए उठाए जा रहे कदम की कड़ी में जिला प्रशासन द्वारा कोरवा युवकों को उनके पैरों पर खड़ा करने मुहिम शुरू की गई है। विकासखंड मनोरा अंतर्गत आने वाले ग्राम गीधा के पहाड़ी कोरवा युवक संजय राम पिछले कई माह से बेरोजगार था। वह वाहन चलाना तो जानता था, लेकिन खुद के पास अपना कोई वाहन नहीं होने का मलाल भी रहता था। जनजाति बहुल कोरवा इलाके में किराये का वाहन भी उसे मिल पाना संभव नहीं था। उसके पास इतनी संपत्ति भी नहीं है कि वह कोई वाहन खरीद सके। संजय राम ने बताया कि एक बार वह मजदूरी करने पंजाब गया हुआ था। उस दौरान कुछ लोगों के साथ रहते हुए उसने वाहन चलाना सीख लिया। वहां से अपने गांव तो लौट आया। लेकिन यहां वाहन नहीं मिलने के कारण बेरोजगार था।

उक दिन उसे सरकारी योजना के तहत किस्त पर वाहन दिए जाने की खबर मिली। उसने सितंबर, 2015 में आवेदन दिया। उसे 5 लाख 50 हजार रुपये की कीमत वाली एक यात्री वाहन दिया गया। उसे किस्तोंका भुगतान 5 साल में करना है। संजय राम ने बताया कि उसके पिता खेती करते हैं। गांव में उसके लायक कोई काम समझ नहीं आता था। अब वाहन मिलने से वह सोनक्यारी से जशपुर तक लोगों को पहुंचाएगा और कमाएगा। संजय राम ने बताया कि उसके परिवार में पांच सदस्य हैं। दो साल की बेटी खुशबू है। अपनी बेटी को अच्छी तरह पढ़ाने के साथ ही अपनी कमाई से परिवार की गरीबी दूर करेगा। पहाड़ी कोरवा युवा संजय को वाहन की चाबी एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के हाथों से मिली। इस पर खुशी जताते हुए उसने कहा, यह मेरे लिए सौभाग्य और गर्व की बात है। मैं अपने परिवार के सपनों पर खरा उतरूंगा।

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