'धोनी से कप्तानी लेने को बैचैन थे कोहली..', पूर्व फील्डिंग कोच की किताब में दावा
'धोनी से कप्तानी लेने को बैचैन थे कोहली..', पूर्व फील्डिंग कोच की किताब में दावा
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नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार बल्लेबाज विराट कोहली और पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के बीच की शानदार बॉन्डिंग जगजाहिर है। विराट कोहली ने धोनी की कप्तानी में ही अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय मुकाबला खेला था, जिसके बाद वह बल्ले से निरंतर रन उगलते आ रहे हैं। विराट कोहली ने गत वर्ष टेस्ट कप्तानी छोड़ने के कुछ माह बाद धोनी को लेकर दिल छू लेने वाला बयान दिया था। कोहली ने कहा था कि जब उन्होंने टेस्ट कप्तानी छोड़ने का निर्णय लिया था, तो सिर्फ एमएस धोनी का मैसेज उन्हें आया था।

अब टीम इंडिया के पूर्व फील्डिंग कोच आर श्रीधर ने अपनी नई किताब 'कोचिंग बियॉन्ड: माई डेज विद इंडियन क्रिकेट टीम' में हैरान कर देने वाला दावा किया है। श्रीधर ने कहा है कि विराट कोहली वर्ष 2016 में व्हाइट बॉल क्रिकेट में कप्तानी करने के लिए बेताब थे और उस समय तत्कालीन कोच रवि शास्त्री ने कोहली से प्रतीक्षा करने को कहा था। आर। कौशिक के साथ मिलकर लिखी गई किताब में श्रीधर ने उन दिनों का का उल्लेख किया, जब कोहली टेस्ट टीम के कप्तान थे, मगर सीमित ओवर्स क्रिकेट में उन्हें कप्तानी नहीं मिली थी।

आर। श्रीधर ने अपनी पुस्तक में लिखा कि, 'जहां तक कोचिंग ग्रुप का प्रश्न है, तो ऐसा माहौल बनाया गया था, जिसमें आप प्रत्येक खिलाड़ी की आंख में आंख डालकर सच कह सकते हैं, चाहे वह कितना ही कड़वा क्यो ना हो। वर्ष 2016 में ऐसा वक़्त था, जब विराट कोहली सीमित ओवरों की कप्तानी के लिए भी व्याकुल थे। उन्होंने कुछ ऐसी बातें कही, जिससे लगा कि वह कप्तानी करने के लिए बेचैन हैं।' उन्होंने आगे लिखा कि, 'एक शाम को रवि शास्त्री ने कोहली को बुलाया और कहा देखिए विराट, धोनी ने आपको टेस्ट टीम की कप्तानी दी है। आपको उनकी इज्जत करनी चाहिए। वह सीमित ओवरों की कप्तानी भी आपको सौंप देंगे, मगर सही वक़्त आने पर। अगर आप अभी उनकी इज्जत नहीं करेंगे, तो कल जब आप कप्तान बनेंगे तो टीम आपका सम्मान नहीं करेगी।'

आर। श्रीधर ने आगे कहा कि, 'विराट कोहली ने वह सलाह मानी और बाद में एक साल के अंदर ही वह सीमित ओवर्स के भी कप्तान बने।' श्रीधर ने शास्त्री को बेहतरीन कम्युनिकेटर बताते हुए कहा कि वह सीधी बात करते थे और हिचकिचाते नहीं थे। उन्होंने यह भी कहा कि टीम से बाहर होने वाले खिलाड़ी को सूचना देने का कार्य भी रवि शास्त्री को ही करना पड़ता था।

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