जानिए आखिर क्यों नवरात्रि में नहीं खाना चाहिए प्याज और लहसुन?
जानिए आखिर क्यों नवरात्रि में नहीं खाना चाहिए प्याज और लहसुन?
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22 मार्च से इस वर्ष की चैत्र नवरात्रि शुरू होने वाली हैं। नवरात्रि के दौरान 9 दिनों तक भक्त मातारानी की आराधना करते हैं। कुछ भक्त नो दिनों का उपवास करते हैं तो वहीं कुछ नवरात्रि के चलते सात्विक खाना खाते है। इस के चलते प्याज और लहसुन खाने की मनाही होती है। अब आपके मन में भी अगर ये सवाल है कि आखिर क्यों नवरात्रि में प्याज नहीं खाना चाहिए, तो यहां जानिए... 

क्या कहता है आयुर्वेद:-
आयुर्वेद का मानना ​​है कि सात्विक खाना हीलिंग फूड होता है, जिसे पचाना सरल होता है। इसलिए जब हम इसे खाते हैं, तो हमारे शरीर को इसे पचाने में कम वक़्त लगता है और हीलिंग में अधिक वक़्त लग सकता है। ये पुराने वक़्त से खाना पकाने और खाने के पारंपरिक रिवाज पर आधारित है, जो पाचन को बढ़ावा देने, चयापचय में वृद्धि, इम्यूनिटी में सुधार, त्वचा को समृद्ध करने, बालों की सेहत एवं शांत दिमाग रखने से अपने बेहतरीन कल्याण प्रोत्साहन का दावा करता है।

नवरात्रि में क्यों नहीं खाना चाहिए प्याज?
आयुर्वेद खाद्य सामग्री को तीन अलग-अलग विशेषताओं या गुणों में बांटा गया है, सात्विक, रजस या राजसिक और तामस या तामसिक। सात्विक का मतलब है शुद्ध, प्राकृतिक, महत्वपूर्ण, स्वच्छ, ऊर्जावान एवं सचेत जबकि राजसिक और तामसिक उन चीजों को संदर्भित करता है जो हैं अपरिपक्व, कमजोर, क्रोधी और विनाशकारी। नवरात्रि के चलते सात्विक खाना खाते हैं तथा प्याज-लहसुन जैसी चीजों को खाने की मनाही होती है क्योंकि उन्हें प्रकृति में तामसिक माना जाता है यानी ये शरीर में कामुक एनर्जी को जगाने के लिए माना जाता है।

हिंदू भक्तों की मान्यता:-
हिंदू भक्तों का मानना ​​है कि प्याज और लहसुन इच्छाओं एवं प्राथमिकताओं के बीच अंतर करना मुश्किल बनाते हैं क्योंकि लहसुन को रजोगिनी के तौर पर जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि व्यक्ति अपनी प्रवृत्ति पर पकड़ खो देता है जबकि प्याज शरीर में गर्मी पैदा करता है। नवरात्रि उत्सव के 9 दिन एक ऐसा वक़्त होता है जब भक्तों को सांसारिक सुखों को त्यागने और एक शुद्ध और सरल जीवन अपनाने को कहा जाता है। त्योहारों के चलते राजसी और तामसिक खाने से आपका ध्यान भंग होता है इसलिए प्याज एवं लहसुन खाने को मना किया जाता है। 

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