लहसुनिया को केतु का रत्न माना गया है. इसका रंग हल्के पीले रंग का तथा बाँस के रंग के समान होता है. यह रत्न सरकारी कार्यो में सफलता दिलाने वाला तथा दुर्घटना आदि से बचाने वाला होता है.
1-भूत-प्रेत का डर सता रहा हो तो लहसुनिया रत्न पहनना चाहिए, इससे भूत-प्रेत संबंधि डर दूर होता है.
2-कुंडली में दूसरे, तीसरे, चौथे, पांचवें, नवें और दसवें भाव में यदि केतु उपस्थित हो तो लहसुनिया रत्न पहनना लाभकारी सिद्ध होता है.
3-कुंडली के किसी भी भाव में अगर मंगल, बृहस्पति और शुक्र के साथ में केतु हो तो लहसुनिया अवश्य पहनना चाहिए.
4-केतु सूर्य के साथ हो या सूर्य से दृष्ट हो तो भी लहसुनिया धारण करना फायदेमंद होता है.
5-कुंडली में केतु शुभ भावों का स्वामी हो और उस भाव से छठे या आठवें स्थान पर बैठा हो तो भी लहसुनिया पहना जाता है.