पद्मविभूषण, पद्मश्री हर अवॉर्ड पर किया कब्जा, कुछ ऐसा था 'महाराज' का करियर
पद्मविभूषण, पद्मश्री हर अवॉर्ड पर किया कब्जा, कुछ ऐसा था 'महाराज' का करियर
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देश के मशहूर वादक रहे किशन महाराज आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है. उन्होंने अपने जीवन में वह सब कुछ पाया, जो हर किसी को नसीब नहीं होता है. आज ही के दिन वे साल 2008 में इस दुनिया को अलविदा कह गए थे, तो आइए आज उनकी पुण्यतिथि पर जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ ख़ास बातें...

संगीत करियर...

अपने संगीत करियर के महज कुछ ही वर्षों के भीतर वे फ़ैयाज खान, ओमकारनाथ ठाकुर, बडे गुलाम अली खान, भीमसेन जोशी, रविशंकर, अली अकबर खान, वसंत राय, विलायत खान, गिरिजा देवी, सितारा देवी और कई मशहूर हस्तियों संग मंच बांटने लगे थे. , महाराज बेहद बहुमुखी और किसी भी संगत के साथ खेलने में सक्षम थे, यह सतार, सरोद, ध्रुपद, धमर या यहां तक ​​कि नृत्य के साथ भी वे कर सकते थे. कहा जाता है कि उन्होने कई एकल संगीत कार्यक्रम दिए थे और श्री शंभू महाराज, सितारा देवी, नटराज गोपी कृष्ण और बिरजू महाराज जैसे कुछ महान नर्तकियों को 'संगठ' भी दिया था. 

पसंद-नापसंद...

महाराज का खानपान भी काफी अलग हुआ करता था. वे दाल, रोटी, चावल के साथ छेना या केला और लौकी चाप काफी पसंद करते थे. वहीं वे गर्मी के सीजन में दोपहर में सप्ताह में दो-तीन दिन सत्तू का सेवन भी किया करते थे. वहीं महाराज को बनारसी नाश्ता पूड़ी-कचौड़ी नापसंद थे. कभी-कभार किसी पार्टी में पंडित पैंट-शर्ट में भी जलवा दिखते हुई नजर आते थे. मगर अलीगढ़ी पायजामा और कुर्ता उनका पसंदीदा पहनावा रहता था. 

पुरस्कार व सम्मान...

किशन को वर्ष 2002 में पद्मविभूषण से भी सम्मानित किया गया था और उन्हें इससे पहले वर्ष 1973 में पद्मश्री, इसके बाद वर्ष 1984 में केन्द्रीय संगीत नाटक पुरस्कार, वहीं बाद में वर्ष 1986 में उस्ताद इनायत अली खान पुरस्कार, साथ ही दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार और ताल विलास के अलावा उत्तरप्रदेश रत्न, उत्तरप्रदेश गौरव भोजपुरी रत्न, भागीरथ सम्मान और लाइफ टाइम अचीवमेंट जैसे सम्मान से भी नवाजा गया है. 

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