बैंगलोर: कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के पुत्र और कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रियांक खड़गे ने बकरीद से पहले गौरक्षकों और बजरंग दल के सदस्यों को जेल में डालने के निर्देश दिए हैं। खड़गे ने कहा है कि जो लोग कानून अपने हाथ में लेते हैं और कहते हैं कि वे इस 'दल' से हैं, उन्हें लात मारकर जेल में डाल देना चाहिए।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रियांक खड़गे ने कर्नाटक के कलबुर्गी जिले में पुलिस अधिकारियों के साथ बकरीद से पहले एक मीटिंग की। इस मीटिंग के दौरान उन्होंने बजरंग दल का नाम लिए बिना धमकी देते हुए कहा कि, 'जो लोग शॉल ओढ़कर कानून अपने हाथ में लेते हैं और कहते हैं कि वे इन 'दलों' से हैं, उन्हें लात मारकर जेल में डाल दीजिए। यदि कोई स्वघोषित नेता है और सांप्रदायिक मुद्दों के नाम पर जहर उगलता है, तो उसके खिलाफ एक्शन होना चाहिए। मैं अनावश्यक सांप्रदायिक दंगे नहीं चाहता।'
'If anyone comes to rescue Cows during Bakrid and do moral policing, Kick them and throw them in Jail': Priyank Kharge.pic.twitter.com/779SSoKOuB
— Dr Aishwarya S ???????? (@Aish17aer) June 25, 2023
खड़गे ने कहा कि, 'जानवरों को लाने और ले जाने को लेकर कानून बेहद स्पष्ट है। यदि किसी के पास पर्याप्त कागज़ात हैं, तो उसे परेशान नहीं किया जाए। चाहे फिर वह ग्रामीण क्षेत्रों में हो या शहर की सीमा के अंदर।' खड़गे के इस बयान को गौहत्या से जोड़कर देखा जा रहा है। बता दें कि, राज्य की कांग्रेस सरकार पहले ही धर्मान्तरण कानून रद्द कर चुकी है, वो भी ऐसे समय में जब देश के विभिन्न हिस्सों से डरा-धमकाकर, लालच देकर, ब्रेनवाश करके, प्रेम जाल में फंसाकर लोगों का धर्मांतरण करने की घटनाएं लगातार सामने आ रहीं हैं। यहाँ तक कि, गेमिंग एप के जरिए छोटे-छोटे बच्चों का भी ब्रेनवाश कर उनका धर्मान्तरण किया जा रहा है, लेकिन उससे रक्षा करने का कानून अब कर्नाटक में हट चुका है। यानी एक तरह से अब कर्नाटक में धर्मान्तरण की खुली छूट है, ऐसे में लोग सवाल कर रहे हैं कि, क्या अब राज्य सरकार गौहत्या की भी छूट देने जा रही है ?
दरअसल, यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि, कर्नाटक के पशुपालन मंत्री के वेंकटेश ने इसी महीने 4 जून को कह चुके हैं कि भाजपा सरकार एक विधेयक लाई थी, जिसमें उसने भैंस और भैंसा का वध करने की इजाजत दी थी, लेकिन कहा था कि गोहत्या नहीं होनी चाहिए। भाजपा ने सरकार ने इसकी सजा को भी सख्त कर दिया था। वेंकटेश ने आगे कहा था कि, 'जब भैंस और भैंसा काटा जा सकता है, तो गायों का क्यों नहीं? हम चर्चा करेंगे और इस पर फैसला लेंगे।'
ध्यान रहे कि, 2018 में कर्नाटक में विजयपुरा के हाशिम पीर दरगाह के प्रमुख तनवीर हाशमी ने एक बयान देते हुए कहा था कि, 'मैं आपको बताना चाहता हूं कि दो माह में बकरीद आने वाली है। गाय के नाम पर यह शैतान (गौरक्षक) शरारत करेगा। मैं आपको (मंत्री को) पहले ही बता रहा हूं ताकि गाय के साथ कोई और कुर्बानी ना हो।' यानी मौलवी हाशमी ने खुलेआम गौहत्या करने का ऐलान किया था, वो भी राज्य के कांग्रेस मंत्री शिवानंद पाटिल की उपस्थिति में और कर्नाटक में गौहत्या कानून लागू था। पशुपालन मंत्री के इस बयान और खड़गे के बकरीद से पहले गौरक्षकों को जेल में डालने वाले बयान को देखें, तो इसके मायने यही निकलते हैं कि, यदि बकरीद पर कोई गौरक्षक गाय करने से रोकने पहुंचा, तो उस पर अल्पसंख्यकों को परेशान करने और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के मामले में कार्रवाई हो सकती है।
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