इस्लाम छोड़ा तो जिन्दा रहना हो गया मुश्किल.., केरल के अस्कर अली ने बताई कट्टरपंथियों की सच्चाई
इस्लाम छोड़ा तो जिन्दा रहना हो गया मुश्किल.., केरल के अस्कर अली ने बताई कट्टरपंथियों की सच्चाई
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कोच्चि: हाल ही में इस्लाम त्यागने वाले केरल के अस्कर अली (Askar Ali) ने आरोप लगाते हुए कहा है कि उनके रिश्तेदार अब उन्हें परेशान कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 1 मई को एसेन्स ग्लोबल सम्मेलन को संबोधित करने से पहले उनके रिश्तेदारों ने उनका किडनैप करने का भी प्रयास किया था। उन्होंने मीडिया को बताया कि, 'पारिवारिक मामलों पर चर्चा करने के बहाने दो रिश्तेदार मेरे पास आए और सुबह मुझे बीच पर ले गए। बाद में वहाँ कार से दो अन्य लोग भी पहुंचे। मेरे रिश्तेदारों ने उनकी सहायता से मुझे जबरन गाड़ी में बैठाने का प्रयास किया। एक व्यक्ति ने मेरा मोबाइल फोन तोड़ दिया। मैं चिल्लाने लगा। मेरी चीख सुनकर मौके पर पहुँचे लोगों ने पुलिस को कॉल कर दिया।'

अस्कर अली अभी अपने दोस्त के घर रह रहे हैं। अली के परिवार के सदस्यों ने उनके लापता होने की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी, जिसके चलते  उन्हें मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश होना पड़ा। उन्होंने आगे कहा कि, 'मैंने इस्लाम का विस्तार से अध्ययन करने के बाद इस मजहब को छोड़ने का फैसला किया। जब मैं (हुदावी) कोर्स कर रहा था तो इस्लाम से जुड़ी सामग्री के अलावा अन्य सामग्री को पढ़ने का अवसर बेहद कम था। लॉकडाउन के दौरान मुझे अन्य विषयों को पढ़ने का मौका मिला, जिससे मेरी आँखें खुल गईं।' अस्कर ने कहा कि जो लोग धर्म छोड़ते हैं उन्हें उनके परिवार के सदस्य नीच प्राणी समझते हैं।

बुधवार (4 मई 2022) को रिपोर्ट में बताया गया कि 24 साल के अस्कर पर इस्लाम छोड़ने के लिए कट्टरपंथियों की भीड़ ने हमला कर दिया था। उन्होंने कोल्लम पुलिस में हत्या की कोशिश का केस दर्ज कराया है। अली ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि उनके द्वारा इस्लाम त्यागने के बाद भीड़ ने उन पर हमला किया। इसके अलावा इस्लाम छोड़ने के कारण उन्हें समुदाय के लोगों की तरफ से धमकियों भी मिल रही हैं। मलप्पुरम के निवासी अस्कर अली ने मलप्पुरम की एक प्रमुख मजहबी एकेडमी से 12 वर्ष का हुदावी धार्मिक कार्यक्रम पूरा किया है। वह रविवार (1 मई, 2022) को ‘वैज्ञानिक सोच, मानवतावाद और समाज में सुधार की भावना’ को बढ़ावा देने वाले संगठन ‘एसेंस ग्लोबल’ की तरफ से आयोजित किए गए एक कार्यक्रम में इस्लामी अध्ययन के छात्र के रूप में अपने अनुभव को साझा करने के लिए कोल्लम गए थे।

इस्लाम में मजहब छोड़ने की सजा मौत:-

बता दें कि कुछ मुस्लिम मुल्कों में इस्लाम में मजहब छोड़ने पर मौत की सजा का प्रावधान है। वर्ष 2014 में आठ मुस्लिम बहुल मुल्कों में एक मुसलमान द्वारा इस्लाम के त्याग करने की सजा मृत्युदंड थी। जानकारी के अनुसार, तेरह देशों में इस्लाम छोड़ने पर कई प्रकार की सजा दी जाती थी। इसके तहत उन्हें जेल में ठूंस दिया जाता है या अर्थदंड लगाया जाता है। यही नहीं, इसके तहत उनसे उनके बच्चे की कस्टडी भी छीन ली जाती है। कुछ दशक पहले, ज्यादायर शिया और सुन्नी कानूनविदों का मानना ​​था कि इस्लाम छोड़ना अपराध के साथ-साथ पाप भी है।

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