इस तरह रखे करवा चौथ का व्रत
इस तरह रखे करवा चौथ का व्रत
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नई दिल्ली: हर सुहागन अपने सुहाग की लम्बी उम्र के लिए इस दिन का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार करती है. करवा चौथ का यह व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. इस व्रत को सिर्फ शादी-शुदा महिलाएं ही करती है. अक्‍सर महिलाएं अपनी मां या फिर अपनी सास से करवा चौथ करने की विधि सीखती हैं लेकिन अगर आप अपने घर से दूर रहती हैं और यह व्रत करना चाहती हैं तो आप इस विधि के अनुसार यह व्रत कर सकती है.
 
1. सूर्योदय से पहले स्‍नान कर के व्रत रखने का संकल्‍प लें, और सास दृारा भेजी गई सरगी खाएं. सरगी में , मिठाई, फल, सेंवई, पूड़ी और साज-श्रंगार का समान दिया जाता है. सरगी में प्‍याज और लहसुन से बना भोजन न खाएं.

2. सरगी करने के बाद करवा चौथ का निर्जल व्रत शुरु हो जाता है. मां पार्वती, महादेव शिव व गणेश जी का ध्‍यान पूरे दिन अपने मन में करती रहें.  

3. दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा चित्रित करें. इस चित्रित करने की कला को करवा धरना कहा जाता है जो कि बड़ी पुरानी परंपरा है.

4. आठ पूरियों की अठावरी बनाएं। हलुआ बनाएं। पक्के पकवान बनाएं.

5. फिर पीली मिट्टी से मां गौरी और गणेश जी का स्‍वरूप बनाइये. मां गौरी की गोद में गणेश जी का स्‍वरूप बिठाइये. इन स्‍वरूपों की पूजा संध्‍याकाल के समय पूजा करने के काम आती है.

6. माता गौरी को लकड़ी के सिंहासन पर विराजें और उन्‍हें लाल रंग की चुनरी पहना कर अन्‍य सुहाग, श्रृंगार सामग्री अर्पित करें। फिर उनके सामने जल से भरा कलश रखें.

7. वायना (भेंट) देने के लिए मिट्टी का टोंटीदार करवा लें. गेहूं और ढक्‍कन में शक्‍कर का बूरा भर दें. उसके ऊपर दक्षिणा रखें। रोली से करवे पर स्‍वास्तिक बनाएं.

8. गौरी गणेश के स्‍वरूपों की पूजा करें. इस मंत्र का जाप करें - 'नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्‌। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥' ज्यादातर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही पूजा करती हैं. हर क्षेत्र के अनुसार पूजा करने का विधान और कथा अलग-अलग होता है। इसलिये कथा में काफी ज्‍यादा अंतर पाया गया है.

9. अब करवा चौथ की कथा कहनी या फिर सुननी चाहिये. कथा सुनने के बाद आपको अपने घर के सभी वरिष्‍ठ लोगों का चरण स्‍पर्श कर लेना चाहिये.

10. रात्रि के समय छननी के प्रयोग से चंद्र दर्शन करें उसे अर्घ्य प्रदान करें. फिर पति के पैरों को छूते हुए उनका आर्शिवाद लें. फिर पति देव को प्रसाद दे कर भोजन करवाएं और बाद में खुद भी करें.

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