फिल्म इंडस्ट्री के लोगों या अमीरों को प्राथमिकता देने हेतु फिल्मकार करण जौहर को अक्सर आलोचनाओं का सामना करना ही पड़ता है. यहां तक कि एक्ट्रेस कंगना रनौत उनके ही शो में उन्हें नेपोटिज्म (परिवारवाद) का सबसे बड़ा समर्थक भी कहा था. हालांकि इन सारी आलोचनाओं के बाद भी करण द्वारा यह साफ कर दिया गया है कि वह अपनी फिल्मों को लेकर कभी भी माफी नहीं मांगेंगे. लेकिन बदलते वक्त के साथ सिनेमा बनाने की अपनी पद्धति को वे बदलने के लिए तैयार हैं.
बता दें कि करण की पिछली मल्टीस्टारर फिल्म 'कलंक' बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह पिट गई थी और इस फिल्म की काफी आलोचना भी हुई थी. हाल ही में मुंबई में लेखिका शुनाली खुल्लर श्रॉफ की किताब 'लव इन द टाइम ऑफ एफफ्लूएन्जा' की लॉन्चिंग पर मीडिया से बात करते हुए फिल्मकार ने कहा, "मैंने उस किस्म की फिल्में इसलिए बनाई है क्योंकि मैं एक निश्चित माहौल में बड़ा हुआ हूं और वहां एक ऐसी तमन्ना भी थी जो कि मेरे सोचने के तरीके के साथ जुड़ी थी. अतः मैं हमेशा से यह सोचता था कि सिनेमा असल जीवन से कहीं ज्यादा है और इसलिए मैंने ऐसे किरदार बनाए जिनकी लोग तमन्ना भी करते हैं."
आपको जानकारी के लिए बता दें कि आगे निर्माता करण ने कहा कि, "हालांकि कहीं न कहीं आगे चलकर सिनेमा का रचनाक्रम बदल गया और फिर मुझे उसे स्वीकारना ही होगा और निश्चित करना होगा कि मेरे किरदार और भी ज्यादा जमीन से जुड़े हुए और वास्तविक हो जिससे वह अब और ज्यादा चमक-धमक वाले नजर नहीं आए."
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