नारी जाति के लिए जीजाबाई ने उठाई थी आवाज
नारी जाति के लिए जीजाबाई ने उठाई थी आवाज
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जीजाबाई एक बहुत ही साहसी, बुद्धिमान महिला कही जाती थी। जीजाबाई इकलौती ऐसी महिला थी जिन्होंने हिंदुत्व को स्थापित करने में अपना अहम् रोल अदा किया है। जीजाबाई का देहांत आज ही के दिन यानि 17 जून को हुआ था। इसलिए हर वर्ष 17 जून जीजा बाई की पुण्यतिथि मनाई जाती है और जीजाबाई को याद कर श्रद्धांजलि अर्पित करते है। बता दें कि जीजाबाई का जन्म 1598 ई में 12 जनवरी को महाराष्ट्र में हुआ था। जीजाबाई के पिता का नाम लखुजी जाधव था। लखुजी जाधव सिंदखेड गांव में शासन करते थे। जीजाबाई का बचपन का नाम जीजाऊ था। जीजाबाई अपने पिता के साथ बहुत कम समय  तक रहीं क्योंकि जीजाबाई का काफी छोटी उम्र में ही विवाह  कर दिया गया था। इतना ही नहीं जब उनकी आयु सिर्फ 6 वर्ष थी तभी उनकी सगाई हो गई थी। जीजाबाई के पति नाम शाहजी भोसले था।

जीजाबाई का निजी जीवन: जीजाबाई और शाहजी की शादी कम उम्र में ही हो गई थी। विवाह के पश्चात दोनों एक साथ ही बड़े हुए। जब शाहजी बड़े हुए तब वह शाहजी बीजापुर दरबार में राजनयिक रहे। शाहजी की सहायता से बीजापुर के महाराज ने कई युद्धों में विजय अपने नाम की। इसके उपरांत बीजापुर के महाराज ने शाहजी को कई कीमती वस्तुएं भी उपहार में मिले, जिन तोपों में कई जागीर भी शामिल थीं। इन्हीं जागीरों में से एक जागीर शिवनेरी का दुर्ग भी रहा। जहां जीजाबाई अपने बच्चों के साथ रहती थीं। जीजाबाई की 6 पुत्री व 2 पुत्र थे। जिन 2 पुत्रों में से 1 पुत्र शिवाजी थे।

जीजाबाई का निधन: जीजाबाई हमारे देश की पहली ऐसी महिला थी जिन्होंने दक्षिण भारत में मराठा हिंदुत्व को स्थापित करने के लिए अहम् भूमिका का निर्वाह किया। जीजाबाई एक ऐसी महिला थी जिन्हें उनकी खुद की युद्ध रण नीतियों के लिए याद किया जाने लगा। जीजाबाई ने हमेशा महिलाओं की रक्षा और सम्मान के लिए ही अपनी आवाज उठाया करती थी। जीजाबाई के द्वारा दी गई शिक्षा, संस्कारों के कारण से ही शिवाजी ने मराठा साम्राज्य स्थापित करने का सोचा और हिंदुओं के लिए तलवार उठा ली।

इसके  चलते उन्होंने कई लोगों के खिलाफ आवाज उठाई। जीजाबाई की नीतियों को सुनकर ही शिवाजी महाराज ने कई युद्ध में जीत हासिल की। इसलिए शिवाजी महाराज को याद करने से पहले उनकी मां जीजाबाई को आज भी याद किया जाता है। शिवाजी महाराज भी हमेशा अपनी जीत का श्रेय अपनी मां जीजाबाई को ही दिया जाता है। शिवाजी महाराज के जीवन में जीजाबाई का एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इतिहास में जीजा बाई के इन सभी योग दानों को हमारा देश हिंदुस्तान कभी भुला नहीं पाएगा।

जीजा बाई का निधन शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक करने के 12 दिनों के उपरांत हुआ था। जिसके बाद जी जमाई ने  पूरा मराठा साम्राज्य स्थापित होता हुआ देख लिया था। जिसके चलते जीजाबाई का हिंदुत्व साम्राज्य स्थापित करने का सपना पूर्ण हुआ था।अपने सपने के पूर्ण होने के उपरांत ही जीजाबाई ने अपने प्राण त्यागे थे। जीजा बाई की मृत्यु वर्ष 1674 ईसवी 17 जून को हुई। जीजाबाई की मृत्यु से पहले ही शिवाजी ने सारे मराठा साम्राज्य भी की गए थी।

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