व्यापम: 17 आरोपियो पर भी मंडरा रहा है खतरा
व्यापम: 17 आरोपियो पर भी मंडरा रहा है खतरा
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मध्यप्रदेश/इंदौर: व्यापम मामले में हो रही मौतों को गंभीरता से लेते हुए पुलिस प्रशासन भी बेहद सतर्क हो गया है. खबर आ रही है की व्यापम  घोटाले में गिरफ्तार किये गए 30 वर्षीय पशु चिकित्सक नरेंद्र सिंह तोमर की जिला जेल में बीमार होने के बाद एक स्थानीय अस्पताल में संदिग्ध हालात में मौत से खड़े हुए विवाद के बाद जेल प्रशासन घोटाले में बंद 17 विचाराधीन कैदियों को किसी दूसरे कारागार में स्थानांतरित करना चाहता है। जेल प्रशासन भविष्य में इस तरह की घटना से बचने के लिये व्यापम घोटाले के इन आरोपियों को दूसरी जेल में भेजना चाहता है। हालांकि, इस कवायद के पीछे जेल प्रशासन ने यह तर्क दिया है कि करीब 920 कैदियों वाले जेल में इलाज की पुख्ता व्यवस्था नहीं है। इंदौर जिला जेल के अधीक्षक आरएस भाटी ने कहा की हम व्यापम घोटाले के उन 17 आरोपियों को ऐसी जगह शिफ्ट करने का प्रयास कर रहे जहा 24 घंटे खुला रहने वाला अस्पताल व पर्याप्त मात्रा में चिकित्सा स्टाफ हो. तथा इसके लिए हम जल्द ही जिला अदालत में एक अर्जी दायर करेंगे. करीब 920 कैदियों वाले इस जेल में चिकित्सा व्यवस्था का जिम्मा एक पार्ट टाइम डॉक्टर पर है जो रात के वक्त आमतौर पर उपलब्ध नहीं रहते। ऐसे में यह व्यवस्था कंपाउंडर और पुरुष नर्स के भरोसे रहती है। 

व्यापम घोटाले के आरोपियों में शामिल 30 साल के नरेंद्र सिंह तोमर की जिला जेल में 27 जून को देर रात तबीयत बिगड़ गई थी। इस दौरान उन्हें फौरन ही महाराजा यशवंतराव अस्पताल ले जाया गया, जहां कुछ देर बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था।संदिग्ध हालात में हुई तोमर की मौत की न्यायिक जांच की जा रही है। मूलत: मुरैना जिले के रहने वाले तोमर को पुलिस ने व्यापम घोटाले में दलाली के आरोप में 17 फरवरी को गिरफ्तार किया था। उस वक्त वह सहायक पशु चिकित्सा अधिकारी के रुप में रायसेन जिले में पदस्थ था। जिला जेल प्रशासन के इन निर्णय का व्यापम घोटाले का खुलासा करने वाले आरटीआई कार्यकर्ताओं में शामिल डॉ. आनंद राय ने स्वागत किया है. 

उन्होंने कहा की व्यापम के तालाब से अभी और भी बड़ी मछलियों का निकलना बाकि है तथा इन्हे बाहर निकालने के लिए इन 17 आरोपियों का जिंदा रहना बेहद जरुरी है. नहीं तो इनकी भी मौत होने का अंदेशा है. आनंद राय ने आगे कहा की अगर नरेंद्र सिंह तोमर को अगर वक्त रहते सही इलाज मिल जाता तो उनकी मौत नही होती तथा जिस वक्त उन्हें महाराजा यशवंतराव अस्पताल ले जाया गया, तब वहां जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण चिकित्सा व्यवस्था स्थिति बेहद खराब थी। तथा जिला जेल में भी तोमर के इलाज के लिए डॉक्टर मौजूद नही था.

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