May 15 2016 02:20 PM
श्रीहरिकोटा- भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन यानी इसरो स्पेस शटल के स्वदेशी स्वरूप के पहले प्रक्षेपण के लिए तैयार है. इस अन्तरिक्ष उड़ान में सफलता मिलने पर यह इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा.
एक एसयूवी वाहन के वजन और आकार वाले इस द्रुतगामी यान को श्रीहरिकोटा में अंतिम रूप दिया जा रहा है.इसके बाद प्रक्षेपण की उलटी गिनती शुरू हो जाएगी. बड़े देश एक द्रुतगामी और पुन: इस्तेमाल किये जा सकने वाले प्रक्षेपण यान के विचार को खारिज कर चुके हैं, जबकि भारतीय इंजीनियरों का मानना है कि कक्षा में प्रक्षेपित लागत को कम करने का उपाय यही है कि राकेट का पुनर्चक्रण किया जाए.
इसरो वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि पुनर्चक्रण पद्धति सफल होती है तो लागत को 10 गुना कम करके 2 हजार डालर प्रति किलो पर ला सकते हैं.सब कुछ ठीक चलने पर श्रीहरिकोटा से आरएलवीटीडी का प्रक्षेपण हो सकता है.
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