भारतीय सैनिको ने बचाई थी हसीना और उनकी फैमिली कि जान
भारतीय सैनिको ने बचाई थी हसीना और उनकी फैमिली कि जान
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ढाका: वर्ष 1971 में जब ढाका में मुक्ति संग्राम हुआ था उस दौरान बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके परिवार की जान खतरे में थी तब जाबांज भारतीय सेनिको ने उनकी जान बचाई थी। यह जानकारी बुधवार को हसीना के पिता के करीबी सहयोगी ने दी। कल 16 दिसंबर को पाकिस्तान के खिलाफ मिली जीत का जश्न मनाया जा रहा था इस मौके पर मुक्ति संग्राम का जिक्र करते हुए बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान के करीबी सहयोगी हाजी गुलाम मोर्शेद ने बताया कि उन्हें भारतीय सेना के 4 जवान अपने सुरक्षा घेरे में उस घर में ले गए, जहां पत्नी बेगम फाजिलातुलेसा, और बेटी हसीना सहित 4 बच्चों को कैद किया था।

मेजर अशोक तारा के द्वारा भारतीय सेना की टुकड़ी का नेतृत्व किया जा रहा था। बता दे कि मेजर तारा को बांग्लादेश ने 2 साल पहले फ्रेंड ऑफ बांग्लादेश के पुरुस्कार से भी सम्मानित किया था।

85 वर्षीय मोर्शेद के मुताबिक घर के बाहर पहरा दे रहे पाकिस्तानी बुरी तरह भयभीत थे, लेकिन अहंकारी थे, उन्हें 17 दिसंबर की सुबह तक भी पाकिस्तानी सैनिकों के आत्मसमर्पण कि जानकारी नहीं थी। जब मेजर तारा हसीना के घर गए तब उन्होंने पाकिस्तानी सैनिकों को बताया कि उनके सैनिकों ने सरेंडर कर दिया। जानकारी दे कि इससे पहले तारा ने कहा था, 'जैसे ही मैं घर के अंदर गया, शेख मुजीबुर की पत्नी ने मुझे गले लगा लिया और कहा कि मैं उनके परिवार को बचाने के लिए स्वर्ग से भेजा भगवान का बेटा हूं।

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