नई दिल्ली: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से पूरी दुनिया बुरी तरह जूझ रही है. पूरे विश्व में इस वायरस की वैक्सीन को लेकर भी खोज जारी है. वहीं भारत बायोटेक, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के सहयोग के साथ कोरोना का टीका तैयार किया है. यह असक्रिय वैक्सीन संक्रामक सार्स-cov -2 वायरस की एक स्ट्रेन (नस्ल) से तैयार की गई है.
वैक्सीन तैयार करने की इस प्रक्रिया में सार्स-CoV-2 स्ट्रेन को नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरलॉजी में अलग कर, भारत बायोटेक में स्थानांतरित किया गया है. DCGI ने पहले और दूसरे चरण के लिए वैक्सीन के इंसानों पर ट्रायल की इजाजत दे दी है. जुलाई से इसका ट्रायल आरंभ हो चुका है. मानव परीक्षणों का उद्देश्य यह जानना होता है कि क्या यह वैक्सीन सुरक्षित है, बजाय इसके कि ये कितना असरदार है?
आपको बता दें कि इससे पहले रूस के सेचनोव फर्स्ट मॉस्को स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी ने पर दुनिया के पहले कोरोना वायरस वैक्सीन बनाने का दावा किया है. यूनिवर्सिटी ने वैक्सीन के सभी नैदानिक परीक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. यूनिवर्सिटी ने 18 जून को रूस के गेमली इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी द्वारा निर्मित टीके के नैदानिक परीक्षण शुरू किए थे .
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