G20 के बीच 3.8 बिलियन डॉलर का मार्केट बना भारत, निवेशकों का भरोसा भी बढ़ा, विशेषज्ञों ने दिए 'शुभ' संकेत
G20 के बीच 3.8 बिलियन डॉलर का मार्केट बना भारत, निवेशकों का भरोसा भी बढ़ा, विशेषज्ञों ने दिए 'शुभ' संकेत
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नई दिल्ली: भारत अपने शेयर बाजार में वास्तव में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी इस संबंध में अन्य विश्व नेताओं के सामने चर्चा कर सकते हैं। दरअसल, भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और इसका शेयर बाजार रिकॉर्ड तोड़ने के बेहद करीब है। यह कई अन्य देशों से अलग है, खासकर चीन, जिसकी अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार में कुछ समस्याएं देखने को मिल रहीं हैं। आज निवेशक भारत को अधिक पसंद कर रहे हैं, क्योंकि यह उनके लिए अधिक से अधिक सुरक्षित होता जा रहा है। निवेशकों को यह अहसास होने लगा है कि भारत अपना पैसा लगाने के लिए एक अच्छी जगह है।

बता दें कि, भारत का शेयर बाज़ार, अब बहुत धन, यानी लगभग 3.8 ट्रिलियन डॉलर का हो गया है। आर्थिक मोर्चे पर यह बहुत बड़ी बात है और इससे पता चलता है कि भारत, आज दुनिया का एक महत्वपूर्ण देश बनता जा रहा है। वहीं, देश के पीएम मोदी इसका इस्तेमाल कंपनियों को भारत में आकर कारोबार करने के लिए आकर्षित करने के लिए कर रहे हैं।  Apple और Samsung जैसी बड़ी कंपनियां पहले से ही भारत में चीजें बना रही हैं। विदेशी निवेशक इस साल भारत में जमकर पैसा लगा रहे हैं, 16 अरब डॉलर से भी अधिक अब तक आ चुका है। इसके उलट, कई अन्य एशियाई देशों को विदेशी निवेशकों से उतना पैसा नहीं मिल रहा है। कुल मिलाकर अभी भारत अपने शेयर बाजार में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और कई निवेशक इससे खुश हैं। भारतीय शेयर बाजार पिछले कुछ महीनों में अन्य बाजारों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।

कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि भारत का शेयर बाजार लगातार बढ़ता रहेगा, क्योंकि भारत में कंपनियां अधिक पैसा कमाएंगी, खासकर रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में। वे यह भी सोचते हैं कि भारत इस समय निवेश के लिए चीन से काफी बेहतर जगह बन चुका है। लेकिन, भारत में कुछ समस्याएं भी हैं। जैसे तेल की कीमत बढ़ती जा रही है, जिससे देश में चीजें और महंगी हो सकती हैं। भारतीय मुद्रा, रुपया भी आशा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर रही है, और अन्य मुद्राओं की तुलना में इसकी कीमत कम है। अगले कुछ समय में भारत में भी चुनाव आने वाला है, जिसका असर शेयर बाजार पर पड़ सकता है। दीर्घावधि में, भारत को अपने बुनियादी ढांचे, शिक्षा जैसी चीजों में सुधार करने और अपने युवाओं के लिए अधिक नौकरियां पैदा करने की आवश्यकता है। लेकिन, जिस तरह से निवेश आ रहा है और कंपनियां, भारत में कारोबार करने के लिए लालायित हो रहीं हैं, ऐसे में देश के लोगों के लिए रोज़गार भी पैदा होगा ही और वो भी बड़े पैमाने पर। वहीं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के जरिए सरकार इस क्षेत्र में भी सुधार करने का प्रयास कर रही है, लेकिन केंद्र सरकार को इस संबंध में कुछ राज्य सरकारों का सहयोग नहीं मिल रहा है, खासकर विपक्ष शासित राज्यों का। उनका आरोप है कि, केंद्र सरकार, इस शिक्षा नीति के जरिए कट्टर राष्ट्रवाद को बढ़ावा दे रही है। इसलिए कुछ विपक्ष शासित राज्य अपनी खुद की शिक्षा नीति बनाने की घोषणा कर चुके हैं। 

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