दुनिया के 100 प्रमुख विचारकों में 4 भारतवंशी
दुनिया के 100 प्रमुख विचारकों में 4 भारतवंशी
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वाशिंगटन : भारतवंशियों का डंका दुनिया में हर क्षेत्र में बज रहा है, चाहे वह राजनीति हो या विज्ञान प्रौद्योगिकी या कोई अन्य क्षेत्र। इसी कड़ी में दुनिया के 100 प्रमुख विचारकों की सूची में चार भारतीय मूल के लोगों के भी नाम शामिल किए हैं, जिन्होंने मानवता की बेहतरी के लिए नए विचार देने का काम किया। इनमें न्यूयार्क में रहने वाली इपीबोन की सहसंस्थापक नीना टंडन शामिल हैं, जिन्होंने विश्व स्वास्थ्य, मानवाधिकार, सुरक्षा और अन्य क्षेत्रों में प्रगति के लिए नए आविष्कार किए। उन्होंने टूटी हड्डियों के इलाज के लिए नई हड्डियां उगाने का तरीका खोजा। इससे पहले डॉक्टर मरीज के शरीर के किसी अन्य हिस्से की हड्डियों का इस्तेमाल टूटी हड्डियों को जोड़ने के लिए करते थे, लेकिन टंडन ने एक अलग तरीका खोज निकाला।

उन्होंने मरीज के स्टेम सेल से नई हड्डियां उगाने का तरीका ढ़ूंढा। इस सूची में दूसरा नाम गूगल के महाप्रबंधक राजन आनंदन (दक्षिण एशिया और भारत) का है। सूची में जगह पाने वाला तीसरा नाम सिविक एक्सीलेटर नाम की निवेश कंपनी के संस्थापक आयशा खन्ना का है। श्रीलंका में पैदा हुए आनंदन ने भारत में इंटरनेट और मोबाइल को आम आदमी के पहुंच में लाने के लिए गूगल जैसी बड़ी कंपनी के प्रभाव का बखूबी इस्तेमाल किया। उन्होंने भारतीय मोबाइल फोन निमार्ताओं को इस बात के लिए राजी किया कि वे सस्ते फोन बनाएं। उन्होंने मोबाइल सेवा प्रदाताओं को राजी किया कि वे डेटा प्लान की कीमतों में कटौती करें। इसके साथ ही उन्होंने गूगल ट्रांसेलशन को कई सारी भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाई। इन सबके अलावा उनकी एक और खासियत है। वे देश के सबसे सक्रिय निवेशकों में से एक हैं।

जनवरी 2014 से जून 2015 के बीच उन्होंने 15 स्टार्ट अप में निवेश किया। वहीं, प्राइसवाटरकूपर की आयशा खन्ना ने शैनॉन सीलर के साथ मिलकर कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के तहत महिलाओं को स्टार्ट अप के लिए पूंजी मुहैया कराया। उन्होंने अमेरिका में 13 नए स्टार्ट अप को पूंजी मुहैया कराया जिनके संस्थापकों में कम से कम एक महिला जरूर है। और इनमें से 11 स्टार्ट अप की शुरुआत महिलाओं ने की है। इस लिस्ट में चौथे विचारक का नाम भारतीय मूल के जैनब गाडियाली का है जिन्होंने फेसबुक के लिए काम करते हुए दुनिया भर की महिला प्रोग्रामरों के योगदान को दुनिया के सामने रखा। उन्होंने केलिफोर्निया में अपने सहयोगी एरिन समर्स के साथ मिलकर महिला प्रोग्रामरों को बढ़ावा देने के लिए वोग्रामर' नाम का अभियान चलाया। इस अभियान के पहले ही साल में फेसबुक के इन दोनों इंजीनियरों ने मिलकर 50 महिला प्रोग्रामरों को दुनिया भर में उनकी पहचान दिलाई।

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