मालामाल कर देगी 'अफीम' की खेती, इस तरह आप भी कमा सकते हैं मोटा मुनाफा
मालामाल कर देगी 'अफीम' की खेती, इस तरह आप भी कमा सकते हैं मोटा मुनाफा
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नई दिल्ली: भारत में कई किस्म के ऐसे पौधे पाए जाते हैं, जिनका इस्तेमाल औषधि बनाने के लिए किया जाता है. अफीम की खेती भी उसी श्रेणी में आती हैं. हालांकि इस पौधे की खेती हर कोई नहीं कर सकता. इसके लिए आपको सरकार से मंजूरी लेनी पड़ती है और इसको लेकर सरकार के बनाए गए नियमों का पालन करना पड़ता है. कानूनी मान्यताओं के मुताबिक, अफीम की खेती का इस्तेमाल सिर्फ औषधि निर्माण में किया जाना है.

बता दें कि पहले इसकी खेती भारत के कुछ ही इलाकों तक ही सीमित थी. लेकिन अब धीरे-धीरे राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में इसका फसलीकरण किया जाने लगा है. इसके पौधे में आने फल को डोडा भी कहा जाता है. यह फल खुद ही फट जाता है और इसके अंदर सफेद आकार वाले छोटे बीज पाए जाते हैं. बता दें कि हर कोई अफीम की खेती नहीं कर सकता है. यह एक नशीला पदार्थ है. इसकी खेती के लिए किसानों को नारकोटिक्स विभाग से मंजूरी लेनी होती है. बिना अनुमति के इसकी खेती करने पर आप पर कार्रवाई भी हो सकती है.

अफीम की बुवाई के 100 से 115 दिनों के भीतर इसके पौधे से फूल आने शुरू हो जाते हैं. इसके बाद फूलों से 15 से 20 दिनों में डोडा निकलना आरंभ हो जाता है. इस डोडे पर चीरा लगाया जाता है. चीरा लगाने के बाद इसमें से एक तरल पदार्थ बाहर निकलता है. इसमें ध्यान ये रखना होता है कि, ये प्रकिया धूप निकलने से पहले ही पूरा कर ली जाए. जब तक फसल से तरल पदार्थ निकलना बंद नहीं होता है, इस प्रकिया को जारी रखा जाता है. डोडे से जब पूरा तरल पदार्थ निकल आता है, तो उसके भीतर से बीज को बाहर निकाल दिया जाता है. और इसका इस्तेमाल आगे चलकर औषधि के रूप में होता है. सरकार से मंजूरी लेकर आप भी इसकी खेती कर सकते हैं और अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

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