नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर में आतंकवाद से लेकर देश के भीतर पनप रहे नक्सलवाद तक नए गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष कई चुनौतियां खड़ी दिख रही हैं. सबसे पहली चुनौती तो कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनाव कराने की रहेगी. गत वर्षों में कश्मीर के चुनावों में काफी हिंसा देखी गई है. इसके साथ ही धारा 370, अनुच्छेद 35 ए और NRC जैसे मसलों से निपटने की चुनौती अब अमित शाह के सामने है.
कश्मीर की चुनौती
कश्मीर से धारा 370 को हटाना और अनुच्छेद 35 ए को ख़ारिज करना भाजपा का एजेंडा रहा है. लेकिन कश्मीर के लोगों में इस मुद्दे को लेकर काफी विरोध है. अब शाह के सामने इन लंबित मुद्दों को निपटाने की चुनौती होगी.
पूर्वोतर में आतंकवाद और एनआरसी का मुद्दा
गृह मंत्रालय के लिए दूसरी प्राथमिकता पूर्वोत्तर का क्षेत्र हो सकता है, जहां आतंकवाद फिर से पनपने लगा है. एनआरसी के मसले पर विवाद के कारण असम में तनाव बढ़ा है. कोई भी वाजिब भारतीय नागरिक एनआरसी से बाहर न रह जाए, इस बात को सुनिश्चित करना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है.
नक्सलवाद की चुनौती
अगले पांच वर्षों में गृह मंत्री अमित शाह माओवादी हिंसा को पूरी तरह से कुचलने का प्रयास करेंगे. नक्सलियों द्वारा सुरक्षा बलों पर हाल में हमलों की तादाद बढ़ी है, किन्तु कुल मिलाकर हिंसा में कमी आई है.
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