यूरिन रोकना हो सकता हैं शरीर के लिए घातक
यूरिन रोकना हो सकता हैं शरीर के लिए घातक
Share:

पसीने की तरह यूरिन भी शरीर से गैर जरुरी तत्त्व बाहर निकालता हैं. यदि यह थोड़े समय भी शरीर में रहे तो आप को संक्रमण की शिकायत हो सकती हैं. वैसे तो ब्‍लैडर के भरने पर स्वत: प्रतिक्रिया तंत्र आपके दिमाग को वाशरूम जाने का संकेत भेज देता है। कभी कभी हम कही फंस जाते हैं और यूरिन को रोके रखने पर विवश हो जाते हैं. पर ऐसा करना आपके शरीर के लिए घातक हो सकता हैं. इसलिए हमारी सलाह हैं की यूरिन आने के पांच मिनट के अंदर इसे निष्कासित कर दे. वरना आपको इन समस्याओं से जूझना पड़ सकता हैं.

# किडनी फेल होने का खतरा: शरीर में यूरिया और क्रियटिनीन दोनों तत्व ज्यादा बढ़ने की वजह से यूरीन के साथ शरीर से बाहर नहीं निकल पाते हैं, जिसके ब्लड में इजाफा होने लगता है. इस तरह के इंफेक्शन किडनी पर बुरा असर डालते हैं. भूख कम लगना, मितली व उल्टी आना, कमजोरी लगना, थकान होना सामान्य से कम पेशाब आना, ऊतकों में तरल पदार्थ रुकने से सूजन आना आदि इसके लक्षण है. 

# किडनी में स्‍टोन (पथरी):  जब किडनी से यूरिनरी ब्लेडर में पेशाब इकठ्ठा होता रहता है. हर एक मिनट में दो एमएल यूरीन ब्लेडर में पहुंचता है. ब्लेडर खाली करने में तीन से चार मिनट की देरी में पेशाब दोबारा किडनी में वापस जाने लगती है, इस स्थिति के बार-बार होने से पथरी की शुरूआत हो जाती है.

# ब्लैडर का कमजोर होना: रिटेंशन ऑफ यूरिन एक ऐसी प्रक्रिया हैं जिसमे यदि दवाब के बाद भी तीन से चार मिनट भी पेशाब को रोका गया तो यूरिन के टॉक्सिक तत्व किडनी में वापस चले जाते हैं. जिसके चलते ब्लैडर की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं. और साथ ही यूरिन क्षमता भी कम हो जाती हैं. 

#यूरिनरी ट्रेक्ट में संक्रमण: जब भी पेशाब तेज आये उसे रोके नहीं अन्यथा ये आप के यूरिनरी ट्रेक्ट यानि की मूत्र मार्ग को संक्रमित कर सकता हैं. इसे  यूटीआई भी कहते हैं. यह बिमारी ख़ास तोर पर महिलाओं में होती हैं. यूटीआई का शिकार होने पर मूत्र में मौजूद जीवाणु  मूत्राशय या गुर्दे में प्रवेश कर जाते हैं और बढ़ने लगते हैं तो यह स्थिति आती है। 

# ब्‍लैडर सिंड्रोम इन्टर्स्टिशल सिस्टाइटिस: इस सिंड्रोम से ग्रसित लोगों को एक दिन में 60 बार तक यूरिन आ सकता हैं. ये सिंड्रोम ब्लैडर को सूज़ा देता हैं. जो की काफी दर्दनाक हो सकता हैं.  अभी तक इस समस्यां का कोई इलाज नहीं मिला हैं लेकिन उपचार से लक्षणों को कम किया जा सकता है।

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -