Nov 19 2015 10:01 PM
मदुरै: मद्रास हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले के तहत कहा है की जब तक एक हिंदू महिला और एक ईसाई पुरुष के बीच में शादी उस समय तक कानूनन वैध नहीं हो सकती है जब तक की इन दोनों में से ही कोई एक अपना धर्म परिवर्तन नहीं करता। मद्रास हाईकोर्ट ने एक मामले के तहत महिला के परिजनों द्वारा दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज करते हुए न्यायाधीश पी आर शिवकुमार और वी एस रवि ने कहा कि अगर यह जोड़ा हिंदू रिवाजों के अनुसार शादी करना चाहता था तो पुरुष को हिंदू धर्म अपनाना चाहिए था.
और अगर महिला ईसाई रिवाजों के अनुसार शादी करना चाहती थी तो उसे ईसाई धर्म में शामिल होना चाही था. परन्तु अगर वे बिना किसी भी धर्म परिवर्तन के अपना अपना धर्म बनाए रखना चाहते थे तो विकल्प के रूप में उनकी शादी विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत पंजीकृत कराई जानी चाहिए थी।
इस महिला ने कोर्ट में याचिका दाखिल किए जाने के बाद कोर्ट में कहा की मेने मंदिर में शादी की थी. फिर अदालत ने कहा की अगर पति ने ने धर्म परिवर्तन नहीं किया है तो हिंदू कानून के अनुसार शादी कैसे वैध हो सकती है.
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