गुवाहाटी: असम के वित्त मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने नागरिकता कानून को देशभर में लागू किए जाने को लेकर बीते शनिवार यानी 18 जनवरी 2020 को कहा कि धार्मिक प्रताड़ाना की अवधारणा को साबित करना संभव नहीं है. वहीं यह भी कहा जा रहा है कि उन्होंने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए कहा कि नागरिकता के धार्मिक उत्पीड़न मानदंड नहीं है. उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति यह कैसे साबित कर सकता हे कि उसके साथ धार्मिक आधार पर उत्पीड़न हुआ है. मंत्री सरमा ने कहा कि सीएए के तहत नागरिकता प्राप्त करने के लिए आवेदन करने के तीन मापदंड हैं. जंहा इनमें से पहला है कि आवेदक हिंदू, जैन, पारसी, ईसाई, सिख या बौद्ध हो.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दूसरा, आवेदक मूल रूप से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान का रहने वाला हो और तीसरा यह कि उसके पास 31 दिसंबर 2014 के पहले से भारत में रहने का प्रूफ हो. उन्होंने कहा कि इसके अलावा धार्मिक उत्पीड़न नागरिकता के लिए कोई मापदंड नहीं है.
Assam Min HB Sarma on his statement,'not possible to proof religious persecution':If a person has to prove it then he has to go to Bangladesh&collect a copy of police report. So,I said that it's not possible to proof concept of religious persecution #CitizenshipAmendmentAct(18.1) pic.twitter.com/Kpycq5VLOR
ANI January 18, 2020
आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि सरमा ने इसके पीछे का कारण बताते हुए कहा कि कोई भी यह कैसे प्रमाणित कर सकता है कि उसके साथ धार्मिक आधार पर प्रताड़ना हुई है. यह संभव ही नहीं है. यदि कोई व्यक्ति इसे साबित भी करना चाहता है तो उसे संबंधित देश लौटना होगा और पुलिस से उत्पीड़न किए जाने संबंधी दस्तावेज हासिल करने होंगे. ऐसे में कोई भी देश यह बात मानने को कैसे तैयार होगा कि उसके यहां धार्मिक आधार पर उत्पीड़न हुआ है या होता है.
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