हरियाणा मे भूस्खलन से बढ़ रहा तबाही का खतरा
हरियाणा मे भूस्खलन से बढ़ रहा तबाही का खतरा
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नारनौल/महेंद्रगढ़: बीते कुछ दिनों से सम्पूर्ण देश कोरोना महामारी के कारण संकट में है. इसी बीच दिल्ली से सटे हरियाणा के नारनौल के गांव खेड़ी-कांटी में जमीन में दरार पड़ने की चौंकाने वाली घटना सामने आई है तथा इसकी सही वजह का पता जांच पूरी होने के पश्चात् ही सामने आएंगी, परन्तु शुरूआती जांच में इसे सर्वाधिक भूमिगत जल दोहन का नतीजा माना जा रहा है. अन्य इलाको की तुलना में अरावली इलाके की उन जगहों पर इस प्रकार के खतरे बहुत ज्यादा हैं, जहां अंधाधुंध भूजल दोहन हो रहा है. जमीन में दरार आने का यह मामला आने वाले वक़्त में किसी बड़े खतरे का संकेत है. यह खतरा भूकंप से कम बल्कि भूजल दोहन से ज्यादा है. जिस खेड़ी-कांटी गांव में जमीन में एक से तीन फुट चौड़ी व करीब एक किमी लंबी सर्पाकार दरार आने की घटना हुई है, वहां का भूजल स्तर दो साल में 20 फुट से ज्यादा नीचे तक पहुंच गया है.

बता दे, कि  विशेषज्ञों के मुताबिक, दोहन से जमीन खोखली हो चुकी थी. गत 3 जुलाई को आए भूकंप से यहां जब भूगर्भीय हलचल बढ़ गई, जब जमीन में दरार आ गई. तत्पश्चात हुई बारिश ने इस दरार को और अधिक चौड़ा कर दिया. अरावली इलाके में कहीं-कहीं जल स्तर का सही आकलन भी संभव नहीं है, क्योंकि यहां जमीनी पानी की जगह कई क्षेत्रो पर चट्टानों के बीच भरा हुआ पानी भी कुंओं के सहारे निकाले जा रहे है.

वरिष्ठ हाइड्रोलॉजिस्ट, वीएस लांबा ने इसको लेकर अपने बयान में कहा है, कि मैं खुद वह मौके पर गया था. बता दे, की जमीन फटने का मामला अत्यधिक भूजल दोहन का नतीजा है. तीन जुलाई के भूकंप और तत्पश्चात आई बारिश से अंदर हुई हलचल को सतह पर ला दिया. हालांकि ज्यादा गहराई से जांच के पश्चात् ही आखिरी निष्कर्ष सामने आएगा. वर्ष 1966 में जितने नलकूप पूरे हरियाणा में थे अब अकेले महेंद्रगढ़ जिले में हो चुके हैं. अब इसकी पूरी जाँच की जा रही है. जांच के पश्चात् ही कुछ स्पष्ट हो पाएगा. 

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