सुंदर पिचाई के जन्मदिन पर जानें उनके बारें में दिलचस्प बातें
सुंदर पिचाई के जन्मदिन पर जानें उनके बारें में दिलचस्प बातें
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दुनिया की दिग्गज टेक कंपनी गूगल ने भारतीय मूल के सुंदर पिचाई को अपनी मूल कंपनी अल्फाबेट का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) नियुक्त किया जा चुका है. भारतीय मूल के सुंदर पिचाई का वास्तविक नाम सुंदरराजन है. उनका जन्म मदुरै (तमिलनाडु) में 10 जून 1972 को  हुआ था, लेकिन वो चेन्नई में पले-बढ़े. उनकी मां लक्ष्मी एक स्टेनोग्राफर और पिता रघुनाथ पिचाई इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे. 

बतौर प्रोडक्ट मैनेजर की थी पहली नौकरी: 1995 में जब सुंदर पढ़ाई के लिए अमेरिका गए, तब आर्थिक तंगी के कारण अपनी हर पुरानी चीज इस्तेमाल कर पैसे बचाए. वह पीएचडी करना चाहते थे. लेकिन परिस्थितियां ऐसी बनीं कि उन्हें नौकरी करनी पड़ी. पहली नौकरी सुंदर ने एक कंपनी में बतौर प्रोडक्ट मैनेजर की थी. फिर दूसरी कंपनी में बतौर कंसल्टेंट काम किया.  पिचाई ने 1993 में आईआईटी खड़गपुर से बीटेक किया. उसी साल स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप मिल गई. पिचाई ने वहां से इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री ली और यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया के व्हार्टन स्कूल से एमबीए किया. 2004 में गूगल जॉइन करने से पहले सॉफ्टवेयर कंपनी एप्लाइड मैटेरियल्स और मैनेजमेंट कंसल्टिंग फर्म मैकेंजी में काम किया था.

पिचाई ने गूगल को दिया था ये सुझाव: अप्रैल 2004 में सुंदर ने गूगल ज्वाइन किया था. गूगल में सुंदर पिचाई पहला प्रोजेक्ट प्रोडक्ट मैनेजमेंट और इनोवेशन शाखा में दिया गया. यहां उन्हें गूगल के सर्च टूल को बेहतर बनाने और दूसरे ब्रॉउजर के यूजर्स को गूगल पर लाने का काम दिया गया था. इसी दौरान सुंदर ने कंपनी को सुझाव दिया कि गूगल को अपना ब्राउजर लॉन्च करना चाहिए. 

गूगल क्रोम के लॉन्च में निभाई थी अहम भूमिका: गूगल का एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने और 2008 में लॉन्च हुए गूगल क्रोम में सुंदर की अहम भूमिका रही. ऐसे काम और अपने आइडिया से वह गूगल के संस्थापक लैरी पेज की नजरों में आए. गूगल में प्रोडक्ट चीफ, एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम प्रमुख जैसे पदों पर रहने के बाद साल 2015 में उन्हें कंपनी का सीईओ बनाया गया.

100 भाषाओं में सेवाएं देती है कंपनी: तकनीक बहुत तेजी से बदल रही है और इस बदलाव में ‘गूगल’ की अहम भूमिका है. इसी साल सितंबर में गूगल ने अपना 21वां जन्मदिन मनाया था. गूगल दुनिया की 100 भाषाओं में अपनी सेवाएं देती है. ये बात कुछ ही लोगों को पता है कि पहले गूगल का नाम बैकरब (BackRub) था. अपनी शुरुआत के दो साल में ही गूगल सर्च इंजन पर फ्रेंच, जर्मन, इटैलियन, स्वीडिश और स्पैनिश जैसी कई भाषाओं में सर्च करने की सुविधा दी गई थी. 

अल्फाबेट है मूल कंपनी: गूगल की मूल कंपनी अल्फाबेट (Alphabet) है. पिछले साल यानी 2018 के मुकाबले 2019 की अप्रैल-जून तिमाही में अल्फाबेट का मुनाफा तीन गुना बढ़ा है. अल्फाबेट को अप्रैल-जून तिमाही में 9.9 अरब डॉलर यानी 68,000 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है. कंपनी के रेवेन्यू में भी बढ़ोतरी हुई है. यह 19 फीसदी बढ़कर 38.9 अरब डॉलर हो गया है. वहीं कंपनी का एडवरटाइजिंग रेवेन्यू 32.6 अरब डॉलर हो गया है. गूगल के क्लाउड बिजनेस में अच्छी ग्रोथ दर्ज की गई है. 

अलग-अलग कंपनियों का ग्रुप है अल्फाबेट: अल्फाबेट अलग-अलग कंपनियों का एक ग्रुप है. कंपनी गूगल को वायमो (स्वचालित कार) वेरिली (जैव विज्ञान) कैलिको (बायोटेक आर एंड डी) साइडवॉक लैब (शहरी नवोन्मेष) और लून (गुब्बारे की सहायता से ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट उपलब्धता) जैसी कंपनियों से अलग करती है.  

इतना है अल्फाबेट का बाजार पूंजीकरण: तिमाही नतीजों की घोषणा के बाद, जुलाई 2019 में अल्फाबेट के शेयर में एक दिन की सबसे बड़ी तेजी आई थी. अल्फाबेट का बाजार पूंजीकरण 893.33 अरब डॉलर है. इस संदर्भ में गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने कहा था कि क्लाउड बिजनेस का सालाना रेवेन्यू आठ अरब डॉलर पहुंच चुका है. गूगल प्रॉपर्टीज पर पेड क्लिक्स में भी सालाना आधार पर 28 फीसदी का इजाफा हुआ है. 

परिकथा से कम नहीं सुंदर की कामयाबी की कहानी: सुंदर पिचाई ने अपनी 10वीं तक की पढ़ाई सीबीएसई से मान्यता प्राप्त जवाहर विद्यालय से और 12वीं वना वाणी स्कूल से की. अपने बैच में सुंदर को सिल्वर मेडल मिला था. आईआईटी के बाद सुंदर ने स्कॉलरशिप की मदद से अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से मैटीरियल साइंस में एमएस किया. इसके बाद पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के व्हॉर्टन स्कूल से एमबीए की डिग्री ली.

सुंदर ने एक इंटरव्यू में बताया है कि अमेरिका जाने से पहले उनके पास अपना कम्प्यूटर भी नहीं था. उनके परिवार को टेलीफोन कनेक्शन के लिए पांच साल इंतजार करना पड़ा था. उन्होंने बताया कि जब उनके घर में फोन लगा तो लगा मानो वह सामुदायिक कनेक्शन हो गया हो. पड़ोसी अपने बच्चों को कॉल करने के लिए आते थे. ऐसी ही बातों से सुंदर की तकनीक की ताकत समझ आई.

एक घंटे में कमाते हैं 1.60 करोड़ रुपये: गूगल सीईओ के तौर पर पिचाई को साल 2018 में 47 करोड़ डॉलर यानी करीब 3,337 करोड़ रुपये मिले थे. बता दें कि इसमें उनके सभी तरह के भत्ते भी शामिल हैं. फॉक्स न्यूज के अनुसार, एक हफ्ते में सुंदर पिचाई अगर 40 घंटे काम करते है, तो ऐसे में उनकी हर घंटे की सैलरी 2,25,961 डॉलर यानी करीब 1.60 करोड़ रुपये बैठती है.

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