'गुजरात का विकास और सारा देश कंगाल', शिवसेना ने फिर बोला सरकार पर हमला
'गुजरात का विकास और सारा देश कंगाल', शिवसेना ने फिर बोला सरकार पर हमला
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मुंबई: महाराष्ट्र में अपनी ही पार्टी में टूट के पश्चात् शिवसेना को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बागियों ने भाजपा से हाथ मिलाकर सरकार बना ली। पार्टी में बगावत के पश्चात् से ही शिवसेना अपने मुखपत्र सामना के माध्यम से शिंदे गुट और NDA सरकार पर हमलावर है। शिवसेना ने एक बार फिर सामना के माध्यम से महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधा है।

शिवसेना ने मुखपत्र सामना के संपादकीय में महाराष्ट्र से बाहर जाते उद्योग को लेकर सरकार को घेरा है। संपादकीय के माध्यम से शिवसेना ने कहा है कि वेदांता- फॉक्सकॉन जैसी अहम परियोजना महाराष्ट्र में स्थापित होनेवाली थी जिसमें तकरीबन डेढ़ लाख करोड़ का निवेश होना था। इस प्रोजेक्ट से 1 लाख व्यक्तियों को रोजगार मिलने की गारंटी थी। केंद्र सरकार ये परियोजना गुजरात खींच ले गई। इससे महाराष्ट्र उबर ही रहा था कि 22 हजार करोड़ रुपये की टाटा एयरबस परियोजना का भी अपहरण कर गुजरात ले जाया गया। सामना के संपादकीय में बताया गया है कि महाराष्ट्र पर एक के बाद एक ऐसे आघात जारी हैं। महाराष्ट्र में शिंदे-फडणवीस की सरकार आने के पश्चात् से 4 बड़ी औद्योगिक परियोजनाएं गुजरात चली गईं। ये परियोजनाएं कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश या बिहार नहीं गईं। ये पिछड़े प्रदेशों छत्तीसगढ़ या झारखंड भी नहीं गईं। इन प्रोजेक्ट्स को तय करके मोदी-शाह के गुजरात ले जाया जा रहा है तथा इस किडनैपिंग पर सूबे के सीएम मुंह में मिश्री डालकर बैठे हैं। वहीं डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस झूठी जानकारी देकर जनता को भ्रमित कर रहे हैं। चाहे वो फॉक्सकॉन परियोजना हो या फिर रांजणगांव में स्थापित होनेवाली इलेक्ट्रिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर। यही बात बल्क ड्रग पार्क एवं मेडिकल उपकरण उत्पादन परियोजना के मामले में भी है।

वही सामना के संपादकीय में ये भी बताया गया है कि अब वे कहते हैं कि इन परियोजनाओं के लिए महाविकास आघाड़ी की सरकार ने केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव ही नहीं भेजा। वास्तविकता यह है कि इन प्रोजेक्ट्स के लिए आघाड़ी सरकार ने 2021 में ही केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेज दिया था। फिर भी डिप्टी सीएम बेझिझक झूठ बोल रहे हैं। ये सब स्वयं की नाकामी ढंकने का उपक्रम है। महाराष्ट्र में आनेवाली बड़ी परियोजनाओं को खींचकर ले जाया जा रहा है तथा शिंदे-फडणवीस की सरकार उसी तरह मूक बैठी है जिस प्रकार भरी सभा में द्रौपदी के चीरहरण के समय प्रमुख लोग सिर झुकाए बैठे थे। रावण ने जिस प्रकार से सीता का हरण किया, उसी प्रकार से महाराष्ट्र के उद्योग-रोजगार के अवसरों का अपहरण गुजरात में किया जा रहा है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र में इसे लेकर तंज करते हुए कहा है कि इस अपहरण को खुली आंखों से देखनेवाले सीएम अपने मिंधे गुट के साथ कहा जा रहा है कि राम दर्शन के लिए अयोध्या नगरी को निकले हैं। इसे मजाक ही बोलना होगा। महाराष्ट्र को कंगाल बनाने के लिए और राज्य के स्वाभिमान, अस्मिता को समाप्त करने के लिए महाराष्ट्र में शिंदे सरकार स्थापित हुई, यह अब पक्का हो गया है। टाटा ने आज तक अपनी सभी प्रोजेक्ट्स के लिए महाराष्ट्र को प्राथमिकता दी है। वेदांता-फॉक्सकॉन ने तो अपनी परियोजना के लिए जोर-शोर से तैयारियां भी की थीं मगर बाल से गला कटने जैसा ही हाल हुआ है। महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री क्या कर रहे हैं? वे असफलताएं छुपाने के लिए महाविकास आघाड़ी सरकार पर ठीकरा फोड़कर अपनी जवाबदेही से पल्ला झाड़ रहे हैं।

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