इस वजह से मनाया जाता है गोपाष्टमी का पर्व, जानिए शुभ मुहूर्त
इस वजह से मनाया जाता है गोपाष्टमी का पर्व, जानिए शुभ मुहूर्त
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कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि आज है और इस दिन गोपाष्टमी का प्रसिद्ध एवं महत्वपूर्ण पर्व मनाया जाता है। जी हाँ और इस पर्व में भगवान श्री हरि विष्णु के अवतार भगवान श्री कृष्ण की पूजा आराधना बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ की जाती है। जी दरअसल धनागम, वैभव एवं सुख शांति के निमित्त यह पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसी के साथ ही इस दिन से अयोध्या मथुरा में परिक्रमा भी आरंभ होता है।

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आपको बता दें कि गोपाष्टमी के इस पवित्र दिन पर गायों एवं बछड़ों को सजाया जाता है तथा उनका पूजन किया जाता है। जी हाँ और इस वर्ष गोपाष्टमी का यह पर्व 1 नवंबर 2022 दिन मंगलवार को मनाया जाएगा। जी दरअसल अयोध्या मथुरा की परिक्रमा 1 नवंबर की रात अर्थात 1 व 2 नवंबर की रात 1:09 से आरंभ होकर अक्षय नवमी पर्यंत 2 नवंबर 2022 दिन बुधवार को रात में 10:53 तक निरंतर चलता रहेगा। अक्षय नवमी का पर्व 2 नवंबर दिन बुधवार को मनाया जाएगा।

गोपाष्टमी 2022 शुभ मुहूर्त- कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 31 अक्टूबर 2022, सोमवार को सुबह प्रारंभ होगी, जो कि 1 नवंबर 2022 मंगलवार को रात 11 बजकर 03 मिनट पर समाप्त होगी।

गोपाष्टमी सबसे उत्तम मुहूर्त- गोपाष्टमी के दिन अभिजीत मुहूर्त का निर्माण हो रहा है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को सुबह 11 बजकर 47 मिनट से दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। यह पूजन के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त माना गया है।

आपको जानकारी दे दें कि गोपाष्टमी का यह पर्व अत्यंत प्राचीन है द्वापर युग से मनाया जाता है, इस वजह से गोपाष्टमी का यह पर्व अति महत्वपूर्ण है। कहा जाता है जब देव राज इंद्र को भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज वासियों से प्रति बर्ष दी जाने वाली वार्षिकी भेंट देने से मना कर दिया। तब देवराज इंद्र कुपित अर्थात नाराज होकर मूसलाधार बारिश आरंभ कर दिया। ब्रज क्षेत्र में त्राहिमाम की स्थिति उत्पन्न हो जाने के बाद भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी एक उंगली पर उठाकर समस्त ब्रज क्षेत्र को डूबने से बचाया था। तब सात दिनों के बाद इंद्रदेव प्रकट होकर भगवान श्री हरि विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण से क्षमा प्रार्थना मांगी थी। जिस दिन इंद्रदेव प्रकट होकर के भगवान श्री कृष्ण से क्षमा मांगे थे वह दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि रहे तभी से यह व्रत यह पर्व विशेषकर ब्रज क्षेत्र में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

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