नई दिल्ली :राज्यसभा में आज कथित अनियमितता पर केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के इस्तीफे की मांग को लेकर काफी हंगामा हुआ है। कांग्रेस के नेतृतव में विपक्षी सदस्यों ने गडकरी की कंपनी में कथित अनियमितता पर उनसे इस्तीफे की मांग की। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने अपनी एक रिपोर्ट में गडकरी का नाम पुर्ति सखर कारखाना लिमिटेड के एक प्रमोटर या निदेशक के रूप में लिया है, जिसे नियमों का उल्लंघन करते हुए इंडियन रिन्युबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी ने 84.12 करोड़ रुपये ऋण दिया था, यह मुद्दा शून्यकाल के दौरान कांग्रेस सांसद शांताराम नाईक ने उठाया और कहा कि गडकरी को इस्तीफा दे देना चाहिए, नाईक ने कहा कि विपक्षी दल समय समय पर हमारे मंत्रियों के इस्तीफे की मांग करते रहे हैं, अब नितिन गडकरी को इस्तीफा देना चाहिए,
कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने कहा कि सरकार इस मुद्दे के लिए जवाबदेह है। कांग्रेस सांसद ने बताया की यह एक गंभीर मुद्दा है,मौजूदा सत्तारूढ़ पार्टी जब विपक्ष में थी, तो वे कार्रवाई करने तक सदन को नहीं चलने देती थी। मैं विपक्ष की तरफ से कह रहा हूं कि यह मुद्दा सिर्फ शून्यकाल में सीमित नहीं रह सकता, इसे लेकर जवाबदेही होनी चाहिए, इसके बाद कांग्रेस सदस्य इस्तीफे की मांग को लेकर नारेबाजी करने लगे, केंद्रीय संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि यह आरोप आधारहीन है, उन्होंने कहा कि कांग्रेस असमंजस में फंसी पार्टी बन गई है। ये आरोप आधारहीन हैं, इस हंगामे के बीच उपसभापति पी.जे.कुरियन ने कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी, सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजादी ने दोबारा मुद्दे को उठाया, उन्होंने कहा, "यह किसी सदस्य के खिलाफ आरोप का सवाल नहीं है, यह कैग की रपट है। कैग की रपट के आधार पर पहले भी शीर्षस्थ लोगों को हटाया गया है। भाजपा सरकार सदन के बाहर और अंदर पारदर्शिता और भ्रष्टाचार की बात करती है। यह संप्रग सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार की भी बात करती है। यहां एक मंत्री के खिलाफ साबित हो चुका मामला है, जिन्हें इसके पहले इसी कारण से भाजपा अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। पार्टी कह सकती है कि उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया..। उन्हें मामले में निरुद्ध किया गया है लिहाजा वह एक दिन भी मंत्री नहीं रह सकते।"