हलवा सेरेमनी से लेकर बजट के पेश होने तक, जानिए क्या क्या होता है हमेशा खास
हलवा सेरेमनी से लेकर बजट के पेश होने तक, जानिए क्या क्या होता है हमेशा खास
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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 01 फरवरी 2024 को अंतरिम बजट पेश करने वाली है। यह बजट अप्रैल-मई 2024 में होने वाले अगले आम चुनाव से पहले गवर्नमेंट का अंतिम बजट बताया जा रहा है। बजट पेश करने की तारीख तो एक फरवरी जैसे की हमेशा ही होती है, लेकिन इसकी तैयारी कई माह पूर्व से शुरू हो जाती है। ऐसे में यह जानना आवश्यक है कि भारतीय बजट के बारे में संविधान में क्या कहता है और इसे पेश करने के लिए गवर्नमेंट कौन-कौन सी तैयारियां करती है?

क्या है बजट, संविधान में इसका जिक्र कहां?: इतना ही नहीं संविधान में सीधे तौर पर बजट का जिक्र अब तक नहीं हुआ है। हालांकि, संविधान के 'अनुच्छेद 112' में 'वार्षिक वित्तीय विवरण' की चर्चा है। इस अनुच्छेद के अंतर्गत ही गवर्नमेंट को अपने हर वर्ष की कमाई और व्यय का लेखा-जोखा देना अनिवार्य होता है। इस अनुच्छेद के अनुसार, बजट पेश करने का अधिकार राष्ट्रपति को ही दिया गया है। लेकिन राष्ट्रपति खुद बजट पेश नहीं करते, बल्कि अपनी तरफ से किसी मंत्री को बजट पेश करने के लिए बोल सकते हैं। देश में हाल ही में यह तब हुआ था, जब 2019 में अरुण जेटली के बीमार होने पर पीयूष गोयल ने वित्त मंत्री न रहते हुए भी बजट पेश कर दिया था। हालांकि, सामान्यतः वित्त मंत्री ही बजट पेश करते हैं। 

बजट शब्द की उत्पत्ति?: इतना ही नहीं बजट शब्द फ्रांस के बुजे (Bougette) से निकला है, जिसका मतलब है चमड़े का बैग। ऐसा भी कहा जाता है कि सरकार और उद्योगपति अपने कमाई और खर्च के दस्तावेज चमड़े के बैग में ही रखना पसंद करते है, इसलिए वित्त मंत्री भी अपने दस्तावेज एक चमड़े के बैग में लेकर संसद आते है। ब्रिटेन में इस शब्द का उपयोग होता रहा है जो आगे भारत तक पहुंच गया।  

क्या होता है बजट?: बजट एक वर्ष का लेखा-जोखा होता है। बजट पेश करने से पहले एक सर्वे से करवाया जाता है, जिसमें गवर्नमेंट की कमाई का अनुमान लगाया जाता है। बजट में सरकार अनुमान लगाती है कि उसे प्रत्यक्ष कर, अप्रत्यक्ष कर, रेलवे के किराए और अलग-अलग मंत्रालय के माध्यम से कितनी कमाई होगी। सर्वे में यह भी पता लगाया जाता है कि आगामी वर्ष में गवर्नमेंट का कितना खर्च अनुमानित होने वाला है। सीधे शब्दों में कहें तो बजट एक साल में होने वाले अनुमानित राजस्व (कमाई) और खर्चों (अनुमानित व्यय) का ब्योरा भी होता है। वित्त मंत्री अपने इन्हीं कमाई और खर्च का ब्योरा बजट भाषण में देते हुए दिखाई देते है। इसे ही आम बजट या संघीय बजट कहते हैं। बजट की अवधि एक वर्ष की होती है। 

भारत में बजट कौन तैयार करता है?: भारत में बजट को तैयार करने की प्रक्रिया बहुत जटिल है। इसे बनाने में वित्त मंत्रालय के साथ नीति आयोग और खर्च से जुड़े मंत्रालय शामिल हो जाते है। वित्त मंत्रालय इन्हीं अलग-अलग मंत्रालयों के अनुरोध पर खर्च का एक प्रस्ताव तैयार भी करता है। इसके उपरांत बजट बनाने का काम वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले आर्थिक मामलों के विभाग का बजट सेक्शन करवाता है। 

बजट तैयार करने की प्रक्रिया क्या है? आइए इसके विभिन्न चरणों के बारे में जानें

पहला चरण: बजट सेक्शन सभी केंद्रीय मंत्रालयों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, स्वायत्त संस्थानों, विभागों, सैन्यबलों को एक सर्कुलर जारी करता है, इसमें इन्हें आगामी वर्ष के लिए एस्टिमेट (खर्चों का आकलन) तैयार करने का आदेश दिया जाता है। मंत्रालयों और विभागों की तरफ से अपनी मांग रखे जाने के उपरांत वित्त मंत्रालय का व्यय विभाग सभी केंद्रीय मंत्रालयों से समझौते शुरू कर देते है। 

दूसरा चरण: इसी बीच आर्थिक केसों के मंत्रालय और राजस्व विभाग अलग-अलग हितधारकों जैसे- किसानों, व्यापारियों, अर्थशास्त्रियों, सिविल सोसाइटी संस्थानों के संपर्क में आते हैं और उनसे बजट को लेकर नजरिया पेश करने की मांग भी करते है। इस प्रक्रिया को प्री बजट डिस्कशन (बजट पूर्व चर्चा) भी बोला जाता है, क्योंकि यह बजट तैयार करने से पहले की प्रक्रिया भी है। इसके उपरांत वित्त मंत्री टैक्स को लेकर अंतिम निर्णय लेते हैं। बजट के फाइनल होने से पहले, सभी प्रस्तावों पर पीएम से भी चर्चा की जाती है और उन्हें अगले फैसलों के बारे में अवगत करवाया जाता है।

तीसरा और अंतिम चरण: आखिरी कदम के तौर पर वित्त मंत्रालय बजट तय करने से जुड़े सभी विभागों से आमदनी और खर्च की रसीदें प्राप्त करता है। इसके माध्यम से जुटाए गए आंकड़ों से अगले साल की अनुमानित कमाई और खर्चों की योजना तैयार की जाती है। इसके साथ साथ सरकार बजट को अंतिम रूप देने के लिए एक बार फिर राज्यों, बैंकरों, कृषि इलाके के लोगों, अर्थशास्त्रियों और व्यापार संघों के साथ बैठक करती है। इसमें इन हितधारकों को कर में छूट और आर्थिक सहायता देने जैसी बातों पर चर्चा होती है। आखिर में वित्त मंत्रालय संशोधित बजट अनुमानों के आधार पर बजट भाषण तैयार करता है।

बजट पेश होने से पहले क्यों होता है 'हलवा समारोह'?: इतना ही नहीं वित्त मंत्री बजट से ठीक पहले एक हलवा समारोह का भी आयोजन करती/करते हैं। यह हलवा समारोह इस बात का परिचायक बताया जाता है कि बजट को अंतिम रूप दिया जा चुका है और इसके छपने का काम शुरू कर दिया गया है। इस समारोह में बड़ी संख्या में बजट तैयार करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। दरअसल, वित्त मंत्रालय के बजट विभाग के जितने भी अधिकारी बजट बनाने के कार्यों में जुटे होते हैं, उन्हें संसद में बजट पेश होने तक अपने परिवारों से संपर्क तक करने से रोक दिया जाता है। ऐसे में सरकार उनकी मेहनत को लेकर आभार प्रकट के लिए हलवा समारोह का आयोजन करती है।

सबसे लंबा बजट भाषण किस वित्त मंत्री ने दिया?: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का केंद्रीय बजट 2021 का भाषण भारतीय इतिहास का सबसे लंबा बजट भाषण है यह 2 घंटे 40 तक लगातार चलता रहा। इससे बीच उन्होंने केंद्रीय बजट 2020 पेश करने के 2 घंटे 17 मिनट के अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ा था। उनसे पहले सबसे लंबा बजट भाषण का रिकॉर्ड दिवंगत अरुण जेटली के नाम पर था। उनका 2014 का बजट भाषण 2 घंटे 10 मिनट लंबा था।

देश का पहला पेपरलेस बजट किसने पेश किया?: इतना ही नहीं वित्त मंत्री  निर्मला सीतारमण के नाम देश का पहला पेपरलेस बजट पेश करने का भी रिकॉर्ड है। कोविड संकट  की वजह से साल 2021 के बजट में एक और अहम बदलाव किया गया। यह बजट देश का पहला 'पेपरलेस बजट' था। इसकी सभी प्रतियों को डिजिटली स्टोर कर दिया गया था। इसके उपरांत 2022 और 2023 का बजट भी पेपरलेस बजट था। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में एक और परिवर्तन किया। उन्होंने बजट से जुड़े दस्तावेज कैरी करने के लिए ब्रीफकेस का उपयोग बंद कर दिया। अब वे बही-खाता जैसी दिखने वाली बैग में बजट से जुड़े दस्तावेज कैरी करती हुई दिखाई देती है।

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