अपने लिए या अपने परिवार के लिए तो सभी कुछ न कुछ करते हैं , लेकिन जो दूसरों की पीड़ा देखकर मदद के लिए आगे आए उसकी तारीफ तो होनी ही है . ऐसा ही एक मामला भोपाल के आयुष का सामने आया है, जिसने राष्ट्रीय पुरस्कार में मिली अपनी राशि को जेल में जमा कर ऐसे चार कैदियों को आज़ादी की सांसें मुहैया करवाई है, जो जुर्माना न भर पाने के कारण जेल से बाहर नहीं आ पा रहे थे.
उल्लेखनीय है कि आयुष को तत्कालीन राष्ट्रपति से 10 हज़ार रुपए और स्कूल से 28 हज़ार रुपए की पुरस्कार राशि मिली थी. जिसे उन्होंने जेल में बंद कैदियों की भलाई के लिए खर्च करने की इच्छा व्यक्त की थी. इस बारे में आयुष की मां जो एक पुलिस अधिकारी भी है , उन्होंने बताया कि उनका बेटा हमेशा जेल की जिंदगी के बारे में पूछा करता था. उसने जरूरतमंद कैदियों की मदद अपनी पुरस्कार राशि से करने की बात कही.
बता दें कि आयुष की पुरस्कार राशि से हत्या के आरोपी 46 वर्षीय श्रीजन सिंह अब जेल से बाहर आ पाएंगे. अच्छे आचरण के कारण उन्हें सजा पूरी होने से पहले ही गणतंत्र दिवस के मौके पर रिहा किया जाने वाला था, लेकिन परिवार द्वारा उनको छोड़ दिए जाने के कारण वो जुर्माने के 5,000 रुपए नहीं दे पा रहे थे. लेकिन आयुष की यह मदद उनके लिए आशा की एक किरण साबित हुई है. उधर ,उप-जेल अधीक्षक पीडी श्रीवास्तव ने बताया कि आयुष अपनी पुरस्कार राशि उन चार कैदियों को दे रहा है जो एक दशक से भी ज्यादा समय से जुर्माना नहीं भरने के कारण जेल में बंद हैं.
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