भिंड/इटावाः रेलवे का अपने लम्बे समय के इंतजार के बाद आखिर यह रास्ता खुल ही गया। मध्यप्रदेश के भिंड से इटावा के बीच ट्रेन सेवा कि शुरूआत के लिए रेलवे काफी लंबे समय से इंतजार कर रही थी जो यह इंतजार शनिवार के दिन खत्म हो गया। यह रास्ता चंबल से होता हुआ इटावा पहुंचाता है।
शनिवार के दिन लगभग दोपहर 2 बजे एक नई नवेली दुल्हन कि तरह भिंड-इटावा स्पेशल पैसेंजर ट्रेन इटावा पहुंची। इस ट्रेन को भिंड से रेल मंत्री मनोज सिन्हा ने हरी झण्डी दिखा कर रवानगी दी। और इस अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान भी मौजूद थे।
ये हो रही थी परेशानी
चम्बल से इटावा के बीच का रेलवे ट्रैक को बनाने के लिए लगभग 1985 में तत्कालीन रेल मंत्री माधवराव सिंधिया ने इसकी आधार शिला रखी थी। इस पूरी व्यवस्था को बनाने के लिए रेलवे ने 600 करोड़ रूपय लगा चुकी है। इसके बाद यह ट्रेक 2014 कि फरवरी में यह तैयार हो चुका था। लेकिन ठीक एक माह बाद ही चंबल नदी के पुल के पिल्लर में दरार की आशंका के कारण ट्रेनों को स्थगित कर दिया गया था। और तब के बाद से अब इस ट्रेक पर सफलता पूर्वक ट्रेन को लाया गया।
हजारों लोगों कि जान को ध्यान में रखते हुए पिल्लर कि दरारों को बड़ी गम्भीरता से लिया गया था। और इसके लिए आइआइटी कानपुर की विशेषज्ञ टीम ने इसकी विशेषतौर पर बड़ी ही गहनता से निरीक्षण किया। लेकिन इसमें कोई भी खामी नहीं पाई गयी। और सुरक्षा के तहत उस समय 30 किलामीटर कि स्पीड से ट्रेनों का संचालन कराने तथा जितने भी पिल्लर थे उन पर जैकट निर्माण कराने का सुझाव दिया था।
कुछ यूॅं रहा कार्य
माधवराव सिंधिया ने 1985 में गुना-भिंड और इटावा के बीच रेल परियोजना कि आधारशिला रखी थी। और इसकी मंजूरी 1989 में रेलवे ने दे दी। और इसके बाद से फरवरी 2014 में इस पर इंजिन दौड़ा लेकिन चंबल नदी पर बने पुल के पिल्लर में दरार कि खबर से काम रूक गया और फिर शुरू से इसकी छानबीन हुई और अंत में 27 फरवरी को 600 करोड़ कि लागत से भिंड से इटावा तक यात्री ट्रेन कि शुरूआत हो गई।
ये रहा ट्रेन पहुंचने का समय
भिंड से इटावा रेल मार्ग की दूरी 36.4 किमी है।
ट्रेन कि रवानगी ठीक दोपहर 1 बजकर 12 मिनट से भिंड से चली।
ट्रेन 1 बजकर 45 मिनट पर उदी स्टेशन पहुॅंची
और 2 बजकर 15 मिनट पर इटावा स्टेशन पर पहुॅंची I