नई दिल्ली: "भारत के मुसलमान पहचान आधारित भेदभाव और छिटपुट हिंसा का सामना करते हैं." यह बयान दिया है भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने. अंसारी ने कहा है कि भारत में मुसलमानों की 14.2 प्रतिशत आबादी अभाव और पिछड़ेपन की वजह से व्यथित है. उन्होंने सकारात्मक कार्रवाई पर फोकस के जरिए मुसलमानों के सशक्तिकरण की पैरवी की और कहा कि उनकी समस्याओं का राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक तौर पर हल निकाल कर उन्हें विकास के मौके प्रदान करने चाहिए.
हामिद अंसारी, फराह नकवी की लिखी किताब 'वर्किंग विद मुस्लिम्स बियॉन्ड बुर्का एंड ट्रिपल तलाक' का विमोचन करने के लिए एक कार्यक्रम में मौजूद थे. जहाँ उन्होंने 2006 कि एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि मुसलमान विकास संबंधी कई तरह के अभाव के शिकार हैं. उन्होंने सकारात्मक कार्रवाई के माध्यम से उनके सशक्तिकरण की वकालत भी की.
पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह अन्य नागरिकों की तरह लाभ लेने में उन्हें सक्षम बनाएगा और उन्हें एक ऐसे मुकाम पर ले जाएगा जहां सरकार का 'सबका साथ सबका विकास' का नारा सार्थक हो जाएगा. अंसारी ने कहा कि मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा तबका गरीब और शक्तिहीन है. सुविधाओं तथा मौकों तक उसकी पहुंच नहीं है. उन्होंने जोर दिया कि सरकार ऐसे मुद्दों का निदान करे. आपको बता दें कि अंसारी इससे पहले भी देश के मुसलमानों के प्रति हमदर्दी जाता चुके हैं, पिछले साल उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि "देश में मुसलमानों को बेचैनी और असुरक्षा की भावना का एहसास होता है.' जिसपर काफी विवाद मचा था.
अमित शाह ने कबूला बीजेपी सबसे भ्रष्ट सरकार
मठों से प्रभावित रही है कर्नाटक की सियासत
सिद्धारमैया की 40 लाख की घड़ी का सच